पीएम मोदी ने 50,000 से अधिक गांवों में 65 लाख संपत्ति कार्ड वितरित किए
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को 10 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 230 से अधिक जिलों के 50,000 से अधिक गांवों के निवासियों को ‘स्वामित्व योजना’ के तहत 65 लाख से अधिक संपत्ति कार्ड वितरित किए। अहमदाबाद में आयोजित एक कार्यक्रम में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उन्होंने ये कार्ड वितरित किए।
इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण निवासियों को उनकी जमीन और संपत्ति का स्वामित्व प्रदान करना और उसका रिकॉर्ड रखना है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ‘ग्राम स्वराज’ की परिकल्पना को धरातल पर लागू करने के लिए गंभीरता से प्रयासरत है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह योजना देश के ग्रामीण क्षेत्रों में अचल संपत्तियों से संबंधित दस्तावेज़ीकरण की चुनौतियों को हल कर रही है। पीएम मोदी ने कहा कि सभी गांवों में संपत्ति कार्ड जारी होने के बाद 100 लाख करोड़ रुपये से अधिक की आर्थिक गतिविधियों का द्वार खुल जाएगा। प्रधानमंत्री ने देश की अर्थव्यवस्था में उचित निवेश पर जोर देते हुए कहा, “हमारी सरकार जमीन पर ग्राम स्वराज लागू करने के लिए गंभीरता से काम कर रही है।”
उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि स्वामित्व योजना ने गांवों की विकास योजनाओं और उनके क्रियान्वयन में उल्लेखनीय सुधार किया है। प्रधानमंत्री ने इस कार्यक्रम को भारत के गांवों के लिए ऐतिहासिक बताया और इसके लाभार्थियों और नागरिकों के लिए शुभकामनाएं व्यक्त कीं।
स्वामित्व योजना पांच साल पहले शुरू की गई थी ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वालों को उनकी संपत्ति के स्वामित्व के कार्ड दिए जा सकें। उन्होंने कहा, “पिछले पांच वर्षों में 1.5 करोड़ से अधिक लोगों को स्वामित्व कार्ड जारी किए गए हैं, और इस कार्यक्रम के माध्यम से लगभग 2.52 करोड़ लोगों को अपने घरों के कानूनी दस्तावेज मिल चुके हैं।”
प्रधानमंत्री ने बताया कि विभिन्न राज्यों में संपत्ति के स्वामित्व के प्रमाण पत्र को अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे घरौनी, अधिकारों का रिकॉर्ड, संपत्ति कार्ड और आवासीय भूमि का पट्टा। उन्होंने कहा कि कानूनी दस्तावेज मिलने के बाद लाखों लोगों ने अपनी संपत्तियों के आधार पर बैंकों से ऋण लिया और अपने गांवों में छोटे व्यवसाय शुरू किए।
प्रधानमंत्री ने प्राकृतिक आपदाओं, जैसे बाढ़ और जलवायु परिवर्तन आदि के बीच एक अन्य प्रमुख चुनौती के रूप में संपत्ति अधिकारों और कानूनी दस्तावेजों की कमी को रेखांकित किया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के एक शोध का हवाला दिया जिसमें बताया गया है कि कई देशों में बड़ी संख्या में लोगों के पास अपनी संपत्तियों के लिए उपयुक्त कानूनी दस्तावेज नहीं हैं।
संयुक्त राष्ट्र इस बात पर जोर देता है कि गरीबी में कमी लाने के लिए संपत्ति के अधिकारों का होना आवश्यक है। प्रधानमंत्री ने उदाहरणों के माध्यम से बताया कि कानूनी दस्तावेज न होने पर बैंक भी ऐसी संपत्तियों से दूरी बनाए रखते हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी संवेदनशील सरकार गांववासियों को ऐसी समस्याओं में नहीं छोड़ सकती।