भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति ‘‘बेहद चिंताजनक” दौर में: पी चिदंबरम
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति ‘‘बेहद चिंताजनक” दौर से गुज़र रही है कोरोना महामारी के बाद अर्थव्यवस्था में सुधार की रफ्तार बहुत सुस्त हो गई है.
बता दें कि कांग्रेस के तीन दिवसीय चिंतन शिविर के दूसरे दिन उदयपुर में एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि देश में महंगाई अस्वीकार्य स्तर तक बढ़ गई है और ऐसा सरकार की गलत नीतियों की वजह से हो रहा है.
पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने कहा कि विदेश के हालात से अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ गया है, लेकिन केंद्र सरकार इन घटनाक्रमों से निपटने के उपायों को लेकर अनभिज्ञ नजर आ रही है. उन्होंने ये भी कहा कि वैश्विक और घरेलू घटनाक्रमों को ध्यान में रखते हुए आर्थिक नीतियों के पुन: निर्धारण पर विचार करना आवश्यक हो गया है.
इस प्रेस कांफ्रेंस में पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि राज्यों की वित्तीय स्थिति पहले कभी इतनी नाजुक नहीं रही है. हालांकि, उन्होंने कहा कि श्रीलंका जैसे हालात का डर यहां नहीं है. चिदंबरम ने कहा कि मोदी सरकार की दमन की कोशिशों के बाद भी यहाँ लोकतांत्रिक प्रक्रिया जारी है और आर्थिक चुनौतियों से निपटने में हम सक्षम होंगे.
गेहूं निर्यात पर पाबंदी लगाए जाने पर कांग्रेस नेता ने कहा कि गेहूं की पैदावार कमोबेश एक जैसी है और उसमें कमी नहीं आयी है. बावजूद सरकार ने इसके निर्यात पर पाबंदी लगाई है जो किसान विरोधी कदम है. उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार किसानों के हित में काम करने वाली नहीं रही है.
गेहूं के निर्यात पर रोक के बारे में जब पूर्व वित्त मंत्री से पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि केंद्र सरकार पर्याप्त गेहूं खरीदने में विफल रही है. यह एक किसान विरोधी कदम है. मुझे हैरानी नहीं है क्योंकि यह सरकार कभी भी किसान हितैषी नहीं रही है.”
चिदंबरम ने ने मोदी सरकार पर तंज़ कसते हुए कहा: 2013 में नरेंद्र मोदी ने कहा था कि जब हमारी सरकार बनेगी तो डॉलर 40 रुपये का होगा, तो उसका क्या हुआ. उन्होंने कहा कि सुषमा स्वराज ने भी कई बैठकों में ये बात कही थी लेकिन ये इनकी नीतियों की ख़ामी है जिसकी वजह से रुपया डॉलर के मुकाबले गिरकर 77.42 पर पहुंच गया है.