बिजली को प्राइवेट हाथों में देने के लिए दिखाई जा रही कोयले की कमी

बिजली को प्राइवेट हाथों में देने के लिए दिखाई जा रही कोयले की कमी

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में मंत्री के बेटे द्वारा किसानों को गाड़ी चढ़ाकर कुचल देने के बाद में किसानों के साथ हुई हिंसा के मामले में लगातार भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता और किसान नेता राकेश टिकैत तक मोदी सरकार के खिलाफ हमलावर हो रहे हैं।

लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा आयोजित मृतक किसानों की श्रद्धांजलि सभा कार्यक्रम में पहुंचे किसान नेता राकेश टिकैत ने हिंसा के आरोपी आशीष मिश्रा के पिता और गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा की गिरफ्तारी की मांग की।

बता दें कि गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के इस्तीफा ना दिए जाने पर किसान संगठनों ने आंदोलन शुरू करने की चेतावनी भी दी है। किसान संगठनों का कहना है कि जब तक अजय मिश्रा केंद्रीय गृह राज्य मंत्री पद पर बैठे हैं। तब तक इस मामले में निष्पक्ष जांच हो ही नहीं सकती।

इसके साथ ही किसान नेता राकेश टिकैत ने हाल ही में देश में आई कोयले की कमी का भी मुद्दा उठाते हुए कहा कि मोदी सरकार प्राइवेट कंपनियों को अगर बिजली मिलेगी तो जो बिजली का यूनिट इस वक्त 7 रुपए है। वो सीधा 15 रुपए पर चला जाएगा। ये सब जानबूझकर कोयले की कमी दिखा रहे हैं। ताकि प्राइवेट कंपनियों को बिजली दी जा सके। अगर साल 2024 में मोदी सरकार को सत्ता से नहीं हटाया गया तो बहुत परेशानी होने वाली है।

ग़ौर तलब है कि राकेश टिकैत ने पीएम मोदी पर हमला बोलते हुए कहा कि मोदी सरकार द्वारा किसानों के लिए लाए गए कृषि कानून काले हैं और देश के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काले हैं। जितना जल्दी ये सत्ता से बेदखल हो जाएं उतनी ही जल्दी देश को राहत मिलेगी।

राकेश टिकैत का कहना है कि आने वाली 1 जनवरी 2022 से सारी तस्वीर साफ हो जाएगी। देखते हैं कि अगले साल कितनी फसलें दोगुने दाम पर बिकने वाली है। इसके साथ ही उन्होंने कृषि कानूनों का विरोध करते हुए कहा कि देश के किसानों के लिए ये कृषि कानून काले ही हैं। हमारी मांग है कि सरकार इन तीनों काले कानून को वापस ले और एमएसपी के दाम तय किए जाएं। नहीं तो यह किसान आंदोलन चलता रहेगा।

 

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