मेघालय की मुस्लिम यूनिवर्सिटी ‘बाढ़ जिहाद’ कर रही है: हेमंत बिस्वा सरमा
गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा, जो अपने बयानों के कारण सुर्खियों में रहते हैं, अब मुस्लिम स्वामित्व वाली मेघालय की यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी को निशाना बनाते हुए उसे असम में आई बाढ़ का जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि यह यूनिवर्सिटी ‘बाढ़ जिहाद’ कर रही है। यूनिवर्सिटी ने इस आरोप को खारिज कर दिया है।
शुक्रवार को असम के पड़ोसी राज्य मेघालय की इस यूनिवर्सिटी के संबंध में बयान देते हुए सरमा ने यूनिवर्सिटी पर आरोप लगाया कि इसके निर्माण के दौरान बड़े पैमाने पर पेड़ काटे गए, जो गुवाहाटी में बाढ़ का कारण बने। वे यहीं नहीं रुके, बल्कि उन्होंने यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे असम के छात्रों से इस संस्थान का बहिष्कार करने की भी मांग की।
सरमा ने कहा, “मुझे लगता है कि यूनिवर्सिटी के मालिकों ने जमीन जिहाद किया है, उन्होंने असम के खिलाफ बाढ़ जिहाद किया है, वरना इतने बड़े पैमाने पर पहाड़ों पर कौन पेड़ काटता है, खासकर एक शैक्षणिक संस्थान के माध्यम से। उन्हें किसी आर्किटेक्ट की सेवाएं लेनी चाहिए थीं। लेकिन उन्होंने केवल बुलडोजर का इस्तेमाल किया।”
उन्होंने आगे कहा, “अगर गुवाहाटी के छात्र और शिक्षक वहां जाना बंद कर दें तो गुवाहाटी की बाढ़ रुक सकती है। मैंने राज्य के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा को पत्र भेजा है और उनसे मिलने वाला हूं, लेकिन मुझे नहीं पता कि मेरी बात सुनने के बाद वे क्या कर सकते हैं, क्योंकि जो नुकसान होना था वह हो चुका है। इसका एक ही समाधान है कि छात्र वहां जाना बंद कर दें ताकि इस संस्थान को आर्थिक नुकसान पहुंचे।”
गौरतलब है कि यह यूनिवर्सिटी महबूब हक के हाथों एजुकेशन रिसर्च एंड डेवलपमेंट फाउंडेशन के माध्यम से स्थापित की गई है, और वही इसके चांसलर भी हैं। शनिवार को यूनिवर्सिटी ने एक बयान जारी कर सरमा के आरोपों का जवाब दिया। उनके अनुसार, निर्माण की सभी मंजूरी मेघालय सरकार से प्राप्त की गई है, और पर्यावरण संरक्षण के लिए सभी आवश्यक नियमों का पालन किया गया है। साथ ही यूनिवर्सिटी ने अपने यहां चल रही कई पर्यावरण संरक्षण की पहलों का भी उल्लेख किया, जिनमें कैंपस के आसपास जल संग्रहण प्लांट और बारिश के पानी के लिए पांच प्राकृतिक जलाशय शामिल हैं।
गौरतलब है कि इस यूनिवर्सिटी में 6000 छात्र पढ़ाई कर रहे हैं, साथ ही 1500 फैकल्टी और कर्मचारी काम कर रहे हैं, जिनमें से बड़ी संख्या असम से संबंधित है। यूनिवर्सिटी ने स्पष्ट किया कि यह संस्थान सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है और अधिकारियों द्वारा बनाए गए सभी नियमों और विनियमों का पालन करता है।


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