कांग्रेस पार्टी ने सभी नेताओं को अयोध्या जाने की अनुमति दी

कांग्रेस ने पार्टी ने सभी नेताओं को अयोध्या जाने की अनुमति दी

मंदिर केवल राम के प्रति उनके प्रेम और भक्ति के बारे में है, लेकिन राजनीति में, भाजपा और कांग्रेस के बीच सत्ता और प्रभाव हासिल करने की होड़ है। काफी समय से कांग्रेस के बड़ी मुसीबत में फंसने की खबरें आ रही हैं। इसका एक कारण यह है कि उन्हें एक मंदिर के विशेष आयोजन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था, लेकिन कांग्रेस पार्टी यह तय नहीं कर पा रही थी कि उसे जाना चाहिए या नहीं।

यदि वे गए, तो एक अन्य राजनीतिक दल इसे अपनी जीत के रूप में देखेगा। कांग्रेस को अपने मुस्लिम समर्थकों के नाराज होने की भी चिंता थी, जो अभी भी अतीत में नष्ट हुई एक मस्जिद को लेकर दुखी हैं। कांग्रेस ने अब फैसला कर लिया है और उनके नेता ने कुछ सदस्यों को राम मंदिर जाने की इजाजत दे दी है। यह एक बड़ा बदलाव है और दिखाता है कि कांग्रेस मंदिर के प्रति अपना समर्थन दिखाना चाहती है।

कांग्रेस की बैठक में पार्टी आलाकमान ने सभी नेताओं को अयोध्या जाने की हरी झंडी दे दी है। उन्होंने कहा कि वे सभी नेता जिन्हें न्योता मिला है या रामलला के दर्शन करने जाते हैं अयोध्या जाएं। हालांकि सोनिया गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के अयोध्या जाने को लेकर सस्पेंस बना हुआ है। अगर यह दोनों अयोध्या नहीं जाते तो अपने प्रतिनिधि के रूप में किसी बड़े नेता को भेज सकते हैं।

अयोध्या में होने वाले प्राण-प्रतिष्ठा समारोह को लेकर संघ और मंदिर समिति ने कई दलों के नेताओं को न्योता भेजा है, जिसमें कांग्रेस के कई बड़े नेता शामिल हैं, जिन्हें समारोह में शामिल होने का न्योता भेजा है। इसी को लेकर कांग्रेस ने एक बैठक बुलाई थी, जिसमें प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के साथ ही लोकसभा चुनाव की तैयारियों पर चर्चा की गई। बैठक में पार्टी आलाकमान ने नेताओं से कहा कि वे नेता जो रामलला के दर्शन करना चाहते हैं, वे जाएं। जिन्हें न्योता नहीं मिला है उन्हें भी प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होना चाहिए।

वहीं राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अयोध्या में होने वाले 22 जनवरी को रामलला के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पहले पूजा-अर्चना करने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि अच्छा होता कि प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में मोदी की बजाय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पूजा-अर्चना करती। बता दें कि विपक्ष ने नए संसद भवन के उद्घाटन के समय भी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से नहीं कराए जाने पर उसे आदिवासी समाज का अपमान बताया था।

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