मंदिर में बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिता: मदरसा के छात्रों ने किया मुकाबला

मंदिर में बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिता: मदरसा के छात्रों ने किया मुकाबला

नई दिल्ली: मदरसा और मदरसा शिक्षा इन दिनों सुर्खियों में है। मदरसों के बारे में भी नकारात्मक प्रचार चल रहा है। इन सब के बीच एक अच्छी खबर भी आई है जिसने सबका ध्यान अपनी तरफ़ खींचा है। राजधानी दिल्ली के जाफराबाद के मदरसा बाबुल उलूम के छात्र ने ऐसा कारनामा किया है कि हर कोई दंग रह गया मदरसा बाबुल उलूम के छात्र शिफ़ाअत अली ने सफलता के झंडे गाड़कर अपने स्कूल का नाम रोशन किया है।

मदरसा बाबुल उलूम के इस छात्र ने बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिता में दिल्ली के सैकड़ों बॉडी बिल्डरों के बीच दो स्वर्ण पदक और 21,000 नकद जीते। इस खबर से पता चलता है कि अगर मदरसे के बच्चों को उचित अवसर और प्रशिक्षण दिया जाए तो वह खेलों में सफलता हासिल कर सकते हैं।

शिफ़ाअत अली का कहना है कि यह सफलता प्राकृतिक श्रेणी में पाई गई है। उन्होंने 65 से 70 किग्रा की प्रतियोगिता में भाग लिया था। उनके मुताबिक वह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना खेल दिखा सकते हैं। बेशक मेहनत करनी पड़ती है, लेकिन इसके लिए समुचित सुविधाएं होना जरूरी है।

बिहार के दरभंगा जिले के रहने वाले शिफ़ाअत अली का कहना है कि वह अपने बड़े भाई के साथ दिल्ली के शास्त्री पार्क में रहते हैं। उन्हें अपने भाई की वजह से बॉडी बिल्डिंग में दिलचस्पी हुई। जब भी उन्हें खाली समय मिलता है, वह जिम जाते हैं।

दिलचस्प बात यह है कि यह बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिता, फिटनेस बॉडी बिल्डिंग एसोसिएशन द्वारा, आजादपुर के प्राचीन शिव मंदिर हॉल में आयोजित की गई थी, जो कि मंदिर परिसर के भीतर है। मौलाना मुहम्मद दाऊद अमीनी इस सफलता से बहुत खुश हैं।

बाबुल उलूम मदरसा के छात्र का प्रतियोगिता जीतकर मदरसे पहुंचने पर शफ़ाअत अली का उन्होंने गर्मजोशी से स्वागत किया, उन्होंने उनकी मेहनत की सराहना करते हुए कहा कि मदरसे के छात्र किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। स्कूली छात्रों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलते हुए कभी-कभी वह दो कदम भी आगे निकल जाते हैं।

उन्होंने कहा कि यह उन लोगों के मुंह पर करारा तमाचा है, जो कहते हैं कि मदरसों के छात्र हर क्षेत्र में पीछे हैं और दुनिया से अनभिज्ञ और अनजान हैं। मौलाना अमिनीने कहा कि हम सभी छात्रों के लिए लगातार काम कर रहे हैं ताकि सभी छात्र हर क्षेत्र में अपनी सफलता के झंडे गाड़ सकें।

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