चुनाव आयुक्त अधिनियम 2023 के तहत, अपनी मर्ज़ी से चुनेगी मोदी सरकार चुनाव आयुक्त

चुनाव आयुक्त अधिनियम 2023 के तहत, अपनी मर्ज़ी से चुनेगी मोदी सरकार चुनाव आयुक्त

मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्तियों व उनकी सेवा शर्तों को रेगुलेट करने वाला बिल लोकसभा के पिछले सत्र में पारित हो गया था। इससे पहले यह बिल 12 दिसंबर को राज्यसभा से भी पारित हो गया था। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद अब यह कानून बन गया है। नए कानून के लागू होने के बाद CJI चुनाव आयुक्तों की चयन समिति का हिस्सा नहीं होंगे।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि चुनाव आयुक्तों का चयन प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और भारत के चीफ जस्टिस की एक समिति की तरफ से किया जाएगा। नए कानून के अनुसार, चुनाव आयोग की नियुक्ति राष्ट्रपति की ओर से एक सेलेक्शन कमेटी की सिफारिश पर नियुक्त किया जाएगा। कमेटी में अब प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री की तरफ नामित एक कैबिनेट मंत्री शामिल होंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नए चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए 7 फरवरी को पहली बैठक की अध्यक्षता करने वाले हैं। चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडे का कार्यकाल 15 फरवरी को खत्म हो रहा है। उनकी जगह नया चुनाव आयुक्त नियुक्त किया जाना है। पीएम मोदी की यह बैठक मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) अधिनियम, 2023 के तहत आयोजित की जाएगी।

प्रधानमंत्री के अलावा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी भी इस कमेटी के सदस्य हैं। लेकिन अब विपक्षी सदस्य की कोई भूमिका नहीं है। क्योंकि पीएम अपनी मर्जी और पसंद से किसी की भी नियुक्ति कर सकते हैं। पहले इस चयन समिति में भारत के चीफ जस्टिस भी सदस्य होते थे।

नया चुनाव आयुक्त चुनने के लिए बुधवार शाम 7.30 बजे पीएमओ में यह बैठक होने की उम्मीद है। कांग्रेस की ओर से अभी फैसला नहीं हुआ है कि अधीर रंजन चौधरी इसमें शामिल होंगे या नहीं। कांग्रेस इस बैठक का बहिष्कार भी कर सकती है। क्योंकि बतौर सदस्य अब विपक्ष की इस कमेटी में कोई भूमिका नहीं है।

12 दिसंबर को राज्यसभा में मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) के पारित होने के दौरान, विपक्ष ने ध्वनि मत से पहले बहिष्कार किया और आरोप लगाया कि इसके प्रावधान “अलोकतांत्रिक” हैं। हालांकि, नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने कहा कि विधेयक पूरी तरह से शीर्ष अदालत के निर्देशों के अनुरूप है।

इस विधेयक को 2 जनवरी, 2024 को एक अधिनियम बनाया गया। नियुक्ति प्रक्रिया ऐसे समय में चल रही है जब चुनाव आयोग 2024 के लोकसभा चुनावों की तैयारियों में व्यस्त है। इसके अलावा सरकार की एक कमेटी एक चुनाव एक देश के प्रस्ताव पर भी राजनीतिक दलों, संगठनों की राय जानने में व्यस्त है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Hot Topics

Related Articles