रेलवे मंत्रालय की तरफ से इंडिया का नाम भारत करने की मांग

रेलवे मंत्रालय की तरफ से इंडिया का नाम भारत करने की मांग

पिछले सप्ताह NCERT की किताबों में आवश्यक परिवर्तनों को लेकर बने पैनल के एक प्रस्ताव में इंडिया की जगह भारत नाम करने की सिफारिश की गई थी। जिसे एनसीईआरटी ने मंजूरी दे दी है। पैनल के सदस्यों में से एक सीआई इसाक ने कहा, यह प्रस्ताव कुछ महीने पहले ही रखा गया था और अब इसे स्वीकार कर लिया गया है।

इंडिया का नाम भारत करने की दिशा में मोदी कैबिनेट (Modi Cabinet) में रेलवे मंत्रालय की तरफ से एक प्रस्ताव रखा गया है, जिसमें इंडिया का नाम भारत करने की मांग है। बता दें कि इससे पहले भी कई महत्वपूर्ण सरकारी दस्तावेजों में इंडिया की जगह भारत नाम का प्रयोग किया जाने लगा है। मोदी कैबिनेट में पहली बार किसी मंत्रालय की तरफ से इस बारे में पहल की गई है।

कैबिनेट को भेजा गया इस तरह का यह पहला प्रस्ताव है, जिसमें देश का नाम इंडिया से बदलकर भारत करने की मांग की गई है। प्रस्ताव में कहा गया है कि संविधान मे इंडिया और भारत दोनों नामों का जिक्र है, ऐसे में अगर भारत नाम का प्रयोग बढ़ता है तो इसमें कुछ गलत नहीं होगा। इस प्रस्ताव पर फिलहाल केंद्र सरकार की ओर से कोई बयान नहीं आया है। लेकिन सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में सरकारी दस्तावेजों में इंडिया की जगह भारत शब्द का चलने बढ़ सकता है।

INDIA से बदलकर भारत नाम रखे जाने की सुगबुगाहट बीते महीने सितंबर में तब शुरू हुई जब जी20 के आयोजन के दौरान भारत की राष्ट्रपति के नाम से भेजे गए निमंत्रण पत्र में ‘प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया’ की बजाए ‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ लिखा गया था। इससे पहले 9 सितंबर को जी-20 कार्यक्रम के दौरान भारत मंडपम में आयोजित होने वाले डिनर के निमंत्रण पत्र में ‘द प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ की ओर से न्योता भेजा गया है।

गौरतलब है कि जी-20 में इस तरह भारत के नाम का इस्तेमाल शुरू होने के साथ ही उस बहस को भी जोर मिला है, जिसमें इंडिया का नाम बदलकर भारत करने की बात कही जा रही है। विपक्ष ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ भाजपा इतिहास बदलना चाहती है और ऐसे हताशा भरे कदम उठा रही है क्योंकि उसे विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलवमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) से हार का डर सता रहा है।

कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि ‘इंडिया’ शब्द उतना ही गौरवशाली है जितना कि ‘भारत’, लेकिन सत्तारूढ़ दल और सरकार एक पूरी पीढ़ी को उस शब्द से नफरत करने की शिक्षा देना चाहती है जिसके प्रति हम बहुत गर्व महसूस करते हुए बड़े हुए हैं। वेणुगोपाल ने आरोप लगाया कि नाम बदलना सिर्फ ध्रुवीकरण का प्रयास मात्र है।

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