आले सऊद के हमलों में 10 हज़ार से अधिक बच्चों की मौत या घायल

आले सऊद के हमलों में 10 हज़ार से अधिक बच्चों की मौत या घायल लगातार 6 साल से भी अधिक समय से यमन सऊदी अरब के बर्बर एवं अतिक्रमणकारी हमलों का सामना कर रहा है।

आले सऊद के हमलों के कारण यमन गंभीर मानवीय संकट का सामना कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र बाल एजेंसी ने यमन में चल रही है जंग और बर्बर हमलों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि यमन में जारी इस युद्ध के कारण कम से कम 10000 बच्चे मारे गए हैं या गंभीर रूप से घायल हुए हैं।

मार्च 2015 से ही सऊदी अरब यमन के खिलाफ अतिक्रमणकारी युद्ध छेड़े हुए है। यूनिसेफ के प्रवक्ता जेम्स एल्डर की रिपोर्ट के अनुसार मार्च 2015 से लड़ाई शुरू होने के बाद से अब तक 10000 से अधिक बच्चे या तो मारे गए हैं या गंभीर रूप से घायल हुए हैं। यमन में मरने वाले बच्चों का आंकड़ा प्रतिदिन चार है। हालांकि यूनिसेफ के प्रवक्ता जेम्स ने कहा है कि यह संख्या कहीं अधिक हो सकती है। ऐसे बहुत से मामले हैं जिनका कोई रिकॉर्ड नहीं है या जिन्हें दर्ज ही नहीं कराया गया है।

उन्होंने कहा कि यमन सबसे खराब मानवीय संकट का सामना कर रहा है। यूनिसेफ को यमन में 2022 के मध्य तक अपने जीवन रक्षक अभियान को जारी रखने के लिए कम से कम तत्काल रुप से 235 मिलियन डालर से अधिक की आवश्यकता है। अगर ऐसा नहीं होता तो एजेंसी को कमजोर बच्चों के लिए अपनी मदद को सीमित ही या बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।

संयुक्त राष्ट्र संघ लंबे समय से यमन की स्थिति के बारे में दुनिया को चेताता रहा है। संयुक्त राष्ट्र का मानना है कि यमन इस सदी के सबसे खराब मानवीयसंकट का सामना कर रहा है।

अरब प्रायद्वीप का यह गरीब देश लंबे समय से सऊदी अरब के बर्बर हमलों के साथ संपूर्ण नाकाबंदी का सामना कर रहा है जिस कारण इस देश को आर्थिक तबाही , ढहती सामाजिक व्यवस्था एवं स्वास्थ्य सेवाओं के संकट का सामना करना पड़ रहा है।

यूनिसेफ के प्रवक्ता ने यमन में जारी संकट के प्रति आगाह करते हुए कहा है कि यूनिसेफ को अभी तक यमन के सभी बच्चों तक पहुंच हासिल नहीं हुई है। अधिक अंतरराष्ट्रीय समर्थन के बिना यमन में मरने वाले बच्चों की संख्या बढ़ सकती है। हर 5 में से 4 बच्चों को तत्काल मानवीय सहायता की आवश्यकता है।

यमन के 11 मिलियन से अधिक बच्चों को तत्काल मानवीय सहायता की जरूरत है। यहां 400000 से अधिक बच्चे गंभीर रूप से कुपोषण से पीड़ित हैं। 200000 से अधिक बच्चे स्कूल से बाहर हैं। एक से चार मिलियन बच्चों तक स्कूल से वंचित होने का खतरा मंडरा रहा है।

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