इज़रायली सेना के चीफ, हर्ज़ी हलेवी ने इस्तीफे की घोषणा की
इज़रायली सेना के चीफ ऑफ स्टाफ, हर्ज़ी हलेवी, ने आज (मंगलवार) अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए कहा कि उन्होंने इस्तीफा पत्र इज़रायली अधिकारियों को सौंप दिया है। इज़रायली मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, हर्ज़ी हलेवी का कार्यकाल 6 मार्च 2025 (16 मार्च) को समाप्त होगा, और उसी दिन उनका इस्तीफा प्रभावी होगा।
अपने इस्तीफे में हलेवी ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह 7 अक्टूबर 2023 को हुए ऑपरेशन “तूफान अल-अक्सा” के दौरान सेना की असफलता की पूरी जिम्मेदारी लेते हैं। उन्होंने अपने बयान में कहा, “2023 के 7 अक्टूबर को सेना की हार का दर्द और जिम्मेदारी हर दिन और हर घंटे मेरे साथ रही है।”
ऑपरेशन ‘तूफान अल-अक्सा” जो फिलिस्तीनी समूह हमास द्वारा संचालित एक बड़ा हमला था, ने इज़रायली सेना को चौंका दिया था। सेना न केवल इस ऑपरेशन का पूर्वानुमान लगाने में विफल रही, बल्कि इसे रोकने के लिए भी कोई प्रभावी कदम नहीं उठा पाई। इस घटना ने इज़रायल के सुरक्षा तंत्र की कमियों को उजागर कर दिया, जिससे जनता और राजनेताओं के बीच सेना के खिलाफ नाराजगी बढ़ी।
इस विफलता के बाद, कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारी इस्तीफा दे चुके हैं। इनमें इज़रायली सेना के मिलिट्री इंटेलिजेंस चीफ आहारोन हलेवी, जमीनी सेना के कमांडर तामिर यादाई, और इकाई 8200 के खुफिया प्रमुख योसी शारिएल शामिल हैं। ये अधिकारी इज़रायली रक्षातंत्र में प्रमुख पदों पर थे, लेकिन ऑपरेशन “तूफान अल-अक्सा” में विफलता के बाद इस्तीफा देने पर मजबूर हुए।
विशेषज्ञों का मानना है कि हर्ज़ी हलेवी का इस्तीफा केवल एक व्यक्तिगत फैसला नहीं है, बल्कि इज़रायल के रक्षा तंत्र और राजनीतिक नेतृत्व के भीतर गहराते संकट का संकेत है। इस घटना ने न केवल इज़रायल की सैन्य प्रतिष्ठा को झटका दिया है, बल्कि देश की सुरक्षा नीति और खुफिया एजेंसियों की कार्यक्षमता पर भी सवाल उठाए हैं।
इज़रायली जनता और सरकार के लिए यह एक अहम मोड़ है, जहां सेना के नेतृत्व में बड़े बदलाव की उम्मीद की जा रही है। आने वाले दिनों में इस घटनाक्रम का इज़रायल की घरेलू और अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है।