आईडीएफ़ का सैयद हसन नसरुल्लाह की शहादत का दावा, हिज़्बुल्लाह की प्रतिक्रिया पर टिकी निगाहें

आईडीएफ़ का सैयद हसन नसरुल्लाह की शहादत का दावा, हिज़्बुल्लाह की प्रतिक्रिया पर टिकी निगाहें

इज़रायली कब्जाधारी सेना ने आज (शनिवार) दावा किया कि, बेरूत के दक्षिणी उपनगर “हारा हरेक” में कल की बमबारी में हिज़्बुल्लाह लेबनान के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह ने शहादत प्राप्त की है। इस दावे के अनुसार, कब्जाधारी सेना ने हिज़्बुल्लाह के प्रमुख नेता अली करकी, जो दक्षिणी मोर्चे के कमांडर थे, की भी शहादत का दावा किया है।

इज़रायली सेना ने अपनी आधिकारिक सोशल मीडिया चैनल “एक्स” (पूर्व में ट्विटर) पर यह दावा किया है। इज़रायली मीडिया में रिपोर्ट के अनुसार, यह हमला अत्यधिक योजना के बाद अंजाम दिया गया और इसका लक्ष्य हिज़्बुल्लाह के शीर्ष नेताओं को निशाना बनाना था। इज़रायली सेना के चीफ ऑफ स्टाफ, हर्तज़ी हलेवी ने कहा, “यह हमला लंबे समय से योजना के तहत था और इसे उचित समय पर लागू किया गया।”

हालांकि, इस दावे के बावजूद, हिज़्बुल्लाह लेबनान ने अब तक इस हमले के संबंध में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। विश्लेषकों का मानना है कि जब तक हिज़्बुल्लाह की तरफ से कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आती, तब तक इस तरह के दावे विश्वसनीय नहीं माने जा सकते। हिज़्बुल्लाह की चुप्पी के चलते क्षेत्र में बेचैनी और तनाव की स्थिति बनी हुई है। इज़रायल की तरफ़ से 2006 में भी इस तरह का दावा किया गया था, फिर 3 दिन बाद हसन नसरुल्लाह ने लाइव आकर बयान दिया था। अब इस खबर में कितनी सच्चाई है इसके लिए सबकी निगाह हिज़्बुल्लाह के आधिकारिक बयान पर टिकी है।

हमले का विवरण
कल शाम (6 अक्टूबर) को इज़रायली कब्जाधारी सेना ने बेरूत के दक्षिणी उपनगर “हारा हरेक” में कई इमारतों पर बंकर-भेदी बमों से हमला किया। इस हमले में हिज़्बुल्लाह के ठिकानों को निशाना बनाया गया था, जिसके तहत 6 इमारतें पूरी तरह से ध्वस्त हो गईं। इस हमले को इज़रायली सेना के अत्याधुनिक एफ-35 लड़ाकू विमानों द्वारा अंजाम दिया गया। अल-जज़ीरा के मुताबिक, हमले में 2000 पाउंड वजन के 10 बमों का इस्तेमाल किया गया, जिन्हें विशेष रूप से कंक्रीट की मजबूत इमारतों और बंकरों को नष्ट करने के लिए डिजाइन किया गया है।

यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब लेबनान और इज़रायल के बीच तनाव पहले से ही बढ़ा हुआ था, और हिज़्बुल्लाह के खिलाफ इस तरह की आक्रामक कार्रवाई ने मध्य पूर्व में संघर्ष को और बढ़ा दिया है। इस हमले के बाद से क्षेत्र में राजनीतिक और सामरिक स्थिति अत्यधिक संवेदनशील हो गई है।

राजनीतिक और सामरिक प्रभाव
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह दावा सही साबित होता है और सैयद हसन नसरुल्लाह वास्तव में इस हमले में शहीद हुए हैं, तो यह घटना पूरे मध्य पूर्व के लिए एक ख़तरनाक साबित हो सकती है। हिज़्बुल्लाह के खिलाफ यह हमला एक बड़ी चुनौती पैदा कर सकता है और क्षेत्रीय ताकतों के बीच संघर्ष को और बढ़ा सकता है। फिलहाल, सभी की निगाहें हिज़्बुल्लाह की आधिकारिक प्रतिक्रिया पर टिकी हुई हैं।

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