फिलिस्तीनी युवाओं में हमास के समर्थकों की संख्या बढ़ी: रिपोर्ट

फिलिस्तीनी युवाओं में हमास के समर्थकों की संख्या बढ़ी: रिपोर्ट , इस्राईल और हमास के बीच संघर्ष, सीमा पार हवाई हमले और रॉकेट फायर का आदान-प्रदान, तथा हिंसक टकराव के बाद अब युद्धविराम है, जैसा कि पिछले तीन गाजा युद्धों के बाद हुआ है, लेकिन स्थायी शांति की बहुत कम उम्मीद है। इस बार भी संघर्ष अरब और यहूदियों के बीच पूर्वी यरुशलम में शेख जर्राह पड़ोस में फिलीस्तीनी परिवारों को बेदखल करने और अल-अक्सा मस्जिद में धार्मिक टकराव से शुरू हुआ था।

यहूदियों और अरबों ने शनिवार को तेल अवीव में हिंसा को समाप्त करने का आह्वान करते हुए एक साथ मार्च किया जबकि उससे एक दिन पहले ही शुक्रवार को संघर्ष विराम के 12 घंटे से भी कम समय में , नमाज के बाद अल-अक्सा के बाहर एक बार फिर हिंसा हुई, पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले दागे और रबर की गोलियां चलाईं।

दक्षिण पंथी यहूदी समूहों द्वारा महत्वपूर्ण संख्या में सांप्रदायिक हमलों के बावजूद, इस्राईली पुलिस ने व्यापक गिरफ्तारी की जिनकी संख्या 1500 से अधिक है, जिनमें 90 प्रतिशत फ़िलिस्तीनी थे। इस्राईली मीडिया ने बताया है कि सुरक्षा बलों द्वारा 500 अन्य लोगों को भी हिरासत के लिए चिन्हित किया गया है।

पिछले हफ्ते रामल्लाह में लगभग 2,500 की भीड़ मनारा में जमा हुई, जो विरोध प्रदर्शन के लिए एक पारंपरिक स्थल है और बेत एल के इस्राईली बस्ती की ओर मार्च किया,जहाँ सेना के साथ हुए टकराव में गोलियां चलाई गईं और प्रदर्शनकारियों में से एक 25 वर्षीय मोहम्मद इसहाक़ हामिद मारा गया। उसी दिन, बिल’इन गांव में सिर में गोली लगने से 15 वर्षीय वेल बर्नट की मृत्यु हो गई, और रामल्लाह में 20 वर्षीय अधम फ़ैज़ मूसा काशिफ की भी सुरक्षा बलों की गोलीबारी के बाद मौत हो गई।

बीट एल संघर्ष के दौरान दो इजराईली सैनिकों को भी गोली मार दी गई थी। सेना ने कहा कि एके-47 कलाश्निकोव राइफलों के साथ दो लोगों ने गोलियां चलाईं। एक अधिकारी ने कहा वेस्ट बैंक में एके -47 का होना असामान्य है और यह एक चिंताजनक घटना थी जिसकी जांच की जा रही है।

फिलिस्तीनी प्रदर्शकारियों ने भी अपना पक्ष रखते हुए बयान दिया कि हां, हम विरोध कर रहे है और ऐसा करना हमारा हक़ है,बेशक लोग गुस्से में थे लेकिन हमने पुलिस पर हमला नहीं किया। उन्होंने शूटिंग शुरू कर दी और हमें खुद को बचाने के लिए भागना पड़ा।” हम न केवल गाजा में हो रही हत्याओं का विरोध कर रहे थे, बल्कि इज़राईली यरुशलम में लोगों के घरो में घुसकर क्या कर रहे हैं, इसका भी विरोध कर रहे थे। कोविड और परेशानियों के साथ नहीं पता कि नौकरियां कहां से आएंगी; वे हमें हमेशा गरीब और मजबूर रखना चाहते हैं। ”जब तक वे हमारी जमीन पर कब्जा करें रहेगे तब तक हम विरोध जारी रखेंगे। हमारी मदद करने वाला कोई नहीं है, इसलिए हमें खुद अपने लिए खड़े होने की जरूरत है।”

यह बात भी उल्लेखनीय है कि केवल अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ही नहीं बल्कि वेस्ट बैंक में फिलिस्तीनी नेतृत्व को भी युवा पुरुषों द्वारा इजराईल सरकार के सामने खड़े नहीं होने के लिए दोषी ठहराया गया।

फिलिस्तीनी युवाओं में हमास के समर्थकों की संख्या बढ़ी है तथा बढ़ती संख्या के साथ हमास आंदोलन को ही फिलिस्तीनी लोगों के वास्तविक रक्षक के रूप में देखते हुए वे इज़राईल के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार है। युवाओं ने कहा हम देख सकते हैं कि वे किस तरह इज़राईल के सामने खड़े रहे। सभी बम विस्फोटों, तथा बड़ी संख्या में लोगों के मर जाने के बावजूद भी इजराईल उन्हें हरा नहीं सका।

युवाओं का कहना है कि अगर चुनाव हुए तो हम उन्हें ही वोट देंगे, लेकिन हमें नहीं लगता कि कोई चुनाव होगा।”

बताते चले कि 15 वर्षों में पहला फिलिस्तीनी संसदीय और राष्ट्रपति चुनाव इस महीने और जुलाई में होने वाले थे, लेकिन श्री अब्बास ने उन्हें अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया, इस बात की ओर इशारा करते हुए कि इजराईली सरकार ने पूर्वी यरुशलम में चुनाव होने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था।

रिपोर्ट के अनुसार  संघर्ष से पहले इज़राईली चैनल 13 द्वारा किए गए एक जनमत सर्वेक्षण में पाया गया कि केवल 17 प्रतिशत ने मोहम्मद अब्बास के लिए अन्य 13.9 प्रतिशत ने श्री अब्बास के प्रतिद्वंद्वी मोहम्मद दहलान का जबकि 32 प्रतिशत फ़िलिस्तीनी मतदाताओं ने हमास का समर्थन किया। पी.ए अध्यक्ष पद पर भी लगभग 28 प्रतिशत ने हमास नेता इस्माईल हनिया और 11 प्रतिशत ने श्री अब्बास का समर्थन किया था।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध फिलीस्तीनी राजनेता और फिलिस्तीनी प्राधिकरण में एक पूर्व मंत्री, हानान अशरावी ने कहा: “इस संघर्ष में हमास ने खुद को न केवल गाज़ा बल्कि यरुशलम और वेस्ट बैंक में भी फिलिस्तीनियों के प्रतिनिधित्व के रूप में पेश किया और काफी हद तक वे सफल भी हुए। आज से पहले कभी इतना स्पष्ट और खुला समर्थन नहीं हुआ है।

“लोग कह रहे हैं, देखिए, ये सभी अरब और मुस्लिम शासन और सेनाएं कुछ नहीं करती हैं लेकिन कम साधन होने के बावजूद एक छोटा समूह इज़राईल के ख़िलाफ़ मज़बूती से लड़ता रहा। जिससे संदेश मिलता है कि हम जीवित हैं, और हम प्रतिरोध की भावना नहीं खोएंगे।

हमास के एक विरोधी भी अपने बयान में इस बात को स्वीकार करते है कि हमास विकसित हो गया है, और यह युवा लोगों, यहां तक ​​कि ईसाइयों के बीच भी समर्थन प्राप्त कर रहा है। मुझे नहीं लगता कि हमास को चुनाव में समग्र बहुमत मिलेगा, लेकिन हमास को बहुलवादी व्यवस्था में प्रतिनिधित्व करने का पूरा अधिकार है। इजराईल दुनिया को यह विश्वास दिलाना चाहता है कि हमास आतंकवादी है। लेकिन हम मानते हैं कि इजराईल जानबूझकर राजकीय आतंकवाद फैलाने का प्रयास करता है।”

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Hot Topics

Related Articles