इमरजेंसी से भी बुरे हालात, गृह मंत्रालय करे हस्तक्षेप
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने मध्य प्रदेश के सीधी जिले में पुलिस के द्वारा पत्रकारों के साथ की गई शर्मनाक घटना पर गहरा आक्रोश जताते हुए कहा कि हालात इमरजेंसी से भी बुरे हैं ऐसा सुलूक तो इमरजेंसी के दौरान भी पत्रकारों के साथ नहीं किया गया। इसकी कड़ी आलोचना की जानी चाहिए।
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने इस घटना पर गहरा रोष जताते हुए गृह मंत्रालय से हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा कि इमरजेंसी के समय भी पत्रकारों के साथ इस स्तर की शर्मनाक हरकतें नहीं की गई थीं। उससे भी ज्यादा शर्मनाक है कि इस घटना पर माफी मांगने की बजाय भाजपा सरकार के द्वारा यह कहा जा रहा है कि वे व्यक्ति पत्रकार नहीं थे।
पीसीआई ने कहा है कि संविधान में किसी भी व्यक्ति के साथ इस तरह की शर्मनाक हरकत किए जाने की अनुमति नहीं है, वे चाहे जो भी हों। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया द्वारा मानवाधिकार संगठन से इस घटना पर संज्ञान लेकर कार्रवाई की मांग की गई है।
भाजपा शासित मध्य प्रदेश की इस घटना पर एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने कहा है कि इस मामले का सबसे शर्मनाक पहलू यह है कि पुलिस ने पत्रकारों और सिविल सोसाइटी के लोगों के कपड़े उतारे जाने की घटना का फोटो लिया और इसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। यह पत्रकार और अन्य लोगों को समाज में शर्मिंदा करने के लिए किया गया, जो कि बेहद शर्मनाक है क्योंकि यह मानव की गरिमा को कम करने की कोशिश है जिसकी अनुमति हमारा संविधान नहीं देता है।
मध्यप्रदेश में पत्रकारों के कपड़े उतरवाकर उनका परेड कराने की घटना की चौतरफा निंदा हो रही है। पेशेवर पत्रकारों के शीर्ष संगठनों, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, ने मध्यप्रदेश के सीधी जिले में पुलिस के द्वारा स्थानीय पत्रकार के कपड़े उतारे जाने की घटना की क़ड़ी आलोचना की है। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने इसे इमरजेंसी से बुरी स्थिति बताते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से मामले में दखल देने की मांग की है। वहीं, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने कहा है कि गृह मंत्रालय को उचित दिशा निर्देश जारी करना चाहिए जिससे अब इस तरह की घटना दोहराई न जाए।