जनता को अधिकार ही न मिलें तो लोकतंत्र का क्या मतलब ?

जनता को अधिकार ही न मिलें तो लोकतंत्र का क्या मतलब ?
कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने एक बार फिर प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के तानाशाही रवैये पर जमकर हमला बोला है।

जनता की अधिकारों की हनन को मुद्दा बनाते हुए राहुल गाँधी ने कहा कि मोदी सरकार शुरू से ही जन अधिकारों को खत्म करने का काम करती आ रही है। अगर जनता को अपने अधिकार ही न मिलें तो ऐसे लोकतंत्र का मतलब क्या है ?
राहुल गाँधी ने मोदी सरकार की नीतियों जमकर जपरहार करते हुए ट्वीट किया कि जन अधिकारों के बिना दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का क्या मतलब?

 

मोदी सरकार शुरू से जन अधिकारों को ख़त्म करने की कोशिश करती आ रही है। मौलिक अधिकारों समेत क्या इन अधिकारों के बिना आप भारत की कल्पना तक कर सकते हैं? भोजन का अधिकार- ताकि किसी को भूख का सामना ना करना पड़े।

राहुल गाँधी ने सभी के लिए भोजन शिक्षा और रोज़गार अधिकार की बात करते हुए कहा कि सब को भोजन मिले ताकि किसी को भूख का समाना न करना पड़े। सभी को शिक्षा मिले आज बच्चा स्कूल जाएगा तो कल अपना और देश का भविष्य अच्छा बनाएगा।

 

राहुल गाँधी ने अपने ट्वीट में प्रधानमंत्री पर प्रहार करते हुए कहा कि क्या प्रधानमंत्री को जन अधिकारों पर आपत्ति है और अगर तो क्यों ? उन्होंने लिखा
भोजन की साथ सबके लिए शिक्षा अधिकार कि बात करते हुए राहुल गाँधी ने कहा
शिक्षा का अधिकार- आज बच्चा-बच्चा स्कूल जाता है, एक बेहतर कल बनाता है अपने लिए और देश के लिए।

रोज़गार का अधिकार- भाजपा के कट्टर विरोध के बावजूद UPA ने जनता को रोज़गार की सुरक्षा दी। कोविड के मुश्किल समय में भी इससे देशवासियों को सहारा मिला।

राहुल ने अपने लगातार ट्वीट में जानकारी की अधिकार को लेकर भी प्रधानमंत्री को निशाने पर लिया

 

जानकारी का अधिकार- लोकतंत्र का दूसरा नाम पारदर्शिता है। जनता को सवाल करने और जवाब पाने का अधिकार है। RTI भी UPA ने दिया। इनमें से किस अधिकार से PM को आपत्ति है? और क्यों?

 

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