शिक्षक भर्ती मामला: सुरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को उनका संवैधानिक अधिकार मिलना चाहिए: मायावती
उत्तर प्रदेश: यूपी में 69 हजार शिक्षकों की भर्ती के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के नई सूची बनाने वाले आदेश पर सुप्रीम कोर्ट रोक लगा चुकी है। इस फैसले के बाद उत्तर प्रदेश में राजनीति तेज हो गई है। इस मामले में बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि सरकार को इस मामले में ईमानदार रुख अपनाना चाहिए।
मंगलवार को मायावती ने सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर अपने एक पोस्ट में लिखा, “यूपी शिक्षक भर्ती मामले में सुरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए। उन्हें अपना संवैधानिक अधिकार जरूर मिलना चाहिए। साथ ही सरकार इस मामले में अपना ईमानदार रुख अपनाए ताकि उनके साथ किसी भी तरह का अन्याय न हो।”
मायावती से पहले समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने भी बीजेपी सरकार की आलोचना करते हुए कहा था कि यह सरकार नौकरी नहीं देने वाली है। उन्होंने सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर लिखा था कि 69,000 शिक्षक भर्ती के मामले में यूपी सरकार दोहरा खेल न खेले। इस दोहरी राजनीति से दोनों तरफ के उम्मीदवारों को ठगने और सामाजिक, आर्थिक एवं मानसिक रूप से ठेस पहुंचाने की कोशिश बीजेपी सरकार न करे। उन्होंने आगे कहा था कि राज्य की बीजेपी सरकार के भ्रष्ट तरीकों का नतीजा उम्मीदवार क्यों भुगतें?
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश पर सोमवार को रोक लगा दी थी जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार को राज्य में 69 हजार सहायक शिक्षकों की नई चयन सूची तैयार करने को कहा गया था। अदालत ने जून 2020 और जनवरी 2022 में जारी शिक्षकों की चयन सूची को रद्द करने संबंधी हाई कोर्ट के आदेश पर भी रोक लगा दी, जिनमें 6800 उम्मीदवार शामिल थे।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने रवी कुमार सक्सेना और 51 अन्य याचिकाकर्ताओं की याचिका पर राज्य सरकार और यूपी बेसिक शिक्षा बोर्ड के सचिव सहित अन्य को नोटिस भी जारी किया। सुप्रीम कोर्ट में अब इस मामले की अगली सुनवाई 25 सितंबर को होगी।