मीडिया के खिलाफ जांच एजेंसियों के दमनकारी उपयोग में तुरंत हस्तक्षेप करे सुप्रीम कोर्ट: पत्रकार संगठन

मीडिया के खिलाफ जांच एजेंसियों के दमनकारी उपयोग में तुरंत हस्तक्षेप करे सुप्रीम कोर्ट: पत्रकार संगठन

पत्रकारों के विभिन्न संगठनों की ओर से एक संयुक्त पत्र भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को लिखा गया है। इस पत्र में कहा गया है कि मीडिया के खिलाफ सरकार की दमनकारी कार्रवाइयां हद से ज्यादा बढ़ गई हैं।

भारत के मुख्य न्यायाधीश को लिखे पत्रकार संगठनों के इस साझा पत्र में कहा गया है कि आपने कई अवसरों पर अदालत के भीतर और बाहर कहा है कि “प्रेस का कर्तव्य है कि वह सत्ता के सामने सच बोले और नागरिकों को सच्चाई के साथ पेश करे। भारत की स्वतंत्रता तब तक सुरक्षित रहेगी जब तक पत्रकार “प्रतिशोध की धमकी से डरे बिना” अपनी भूमिका निभा सकते हैं।

इसमें कहा गया है कि तीन अक्टूबर, 2023 को, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने पत्रकारों, संपादकों, लेखकों समेत 46 पेशेवरों के घरों पर छापा मारा है। ये लोग किसी न किसी तरह से ऑनलाइन समाचार पोर्टल, न्यूज़क्लिक से जुड़े हुए थे। छापेमारी में गैरकानूनी गतिविधियों की विभिन्न धाराओं के तहत दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पत्रकारों पर यूएपीए लगाना विशेष रूप से भयावह है। पत्रकारिता पर ‘आतंकवाद’ का मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।

इस साझा पत्र में सीजेआई से कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान, आपने देखा है कि कैसे कई मौकों पर देश की जांच एजेंसियों का दुरुपयोग किया गया और प्रेस के खिलाफ उन्हें हथियार बनाया गया। संपादकों और पत्रकारों के खिलाफ देशद्रोह और आतंकवाद के मामले दर्ज किए गए हैं। पत्रकारों के उत्पीड़न के लिए गलत एफआईआर का इस्तेमाल किया गया है।

इसमें स्पष्ट किया गया है कि इस पत्र का उद्देश्य कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया और प्रक्रिया को नजरअंदाज करना या उसमें बाधा डालना नहीं है। लेकिन जब जांच के नाम पर पत्रकारों को बुलाया जाता है और उनके उपकरण जब्त कर लिए जाते हैं, तो इस प्रक्रिया में एक अंतर्निहित दुर्भावना है जिसे जांचा जाना चाहिए।

इस पत्र में कहा गया है कि जिस प्रकार पुलिस संविधान द्वारा गिरफ्तारी का आधार बताने के लिए बाध्य है, उसी प्रकार पूछताछ के लिए भी यह एक पूर्व शर्त होनी चाहिए। अर्थात किस अपराध के लिए पूछताछ हो रही है यह बताना चाहिए।इसके अभाव में हमने न्यूज़क्लिक मामले में देखा है कि कुछ अज्ञात अपराध की जांच के नाम पर अस्पष्ट दावे किए गए। इस शर्त की अनुपस्थिति पत्रकारों से उनके कवरेज के बारे में सवाल करने का आधार बन गई है।

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को जिन पत्रकार संगठनों ने यह साझा पत्र लिखा है उसमें डिजीपब न्यूज इंडिया फाउंडेशन, इंडियन वूमेन प्रेस कॉर्प्स, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, नई दिल्ली फाउंडेशन फॉर मीडिया प्रोफेशनल्स, नेटवर्क ऑफ वीमेन इन मीडिया, चंडीगढ़ प्रेस क्लब, नेशनल अलायंस ऑफ़ जर्नलिस्ट्स, दिल्ली यूनियन ऑफ़ जर्नलिस्ट्स, केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स, बृहन्मुंबई यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स, फ्री स्पीच कलेक्टिव, मुंबई, मुंबई प्रेस क्लब,अरुणाचल प्रदेश यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट प्रेस एसोसिएशन ऑफ इंडिया, गुवाहाटी प्रेस क्लब शामिल है।

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