नई दिल्ली: केंद्र द्वारा लाए गए तीन नए कृषि कानूनों (Farm Laws) के विरोध में पिछले तीन महीने से ज़्यादा से आंदोलन कर रहे किसानों से सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ संदेश दिया है कि अगर आप गांव बसाना चाहते हैं तो बसाएं, लेकिन दूसरों की ज़िन्दगी बाधित न करें।
सुप्रीम कोर्ट ने अपनी मांगों को लेकर सड़क जाम करने के मसले पर कहा कि लोग अपनी जगह ठीक हो सकते हैं, लेकिन रास्ता रोकने की प्रवृत्ति ठीक नहीं है।
बता दें ये बात जस्टिस संजय किशन कौल और हेमंत गुप्ता की पीठ ने नोएडा निवासी मोनिका अग्रवाल की याचिका पर सुनवाई के दौरान कही।
ग़ौरतलब है कि मोनिका ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाख़िल की थी जिसमे याचिकाकर्ता ने कहा था पहले नोएडा से दिल्ली जाने में 20 मिनट लगते थे और अब दो घंटे लगते हैं। क्योंकि रास्ते में किसान कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ सड़क जाम किये बैठे रहते हैं।
जस्टिस संजय किशन कौल और हेमंत गुप्ता की पीठ ने सड़क जाम करके प्रदर्शन करने वालों से साफ़ कहा है कि अगर आपको गांव बसाना है तो बसाएं लेकिन लोगों की जिंदगी बाधित न करें।
हालांकि पीठ ने सुनवाई के दौरान सीधे तौर पर कृषि कानून विरोधी आंदोलन से जाम रास्ते का नाम नहीं लिया है। लेकिन नोएडा से दिल्ली जाने में हो रही दुश्वारियों और सड़क जाम का एक कारण पिछले चार महीने से दिल्ली की सीमाओं पर सड़क रोके बैठे प्रदर्शनकारी भी हैं।
बता दे पहले भी कोर्ट ने मोनिका अग्रवाल की याचिका पर नोटिस जारी करते हुए कहा था कि रास्ता बाधित नहीं होना चाहिए।