बाबरी मस्जिद पर राम मंदिर बनाने का निर्णय देकर शराब पार्टी करते रहे रंजन गोगोई बाबरी मस्जिद के स्थान पर 2019 में राम मंदिर बनाने का फैसला सुनाने के बाद तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई अपने साथी जजों के साथ शराब पार्टी मनाने होटल पहुंचे थे।
बाबरी मस्जिद को 6 दिसंबर 1992 में हिंदुत्ववादी तत्वों द्वारा ढ़हाये जाने के बाद 2019 में इस कांड में फैसला सुनाते हुए तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ने वहां राम मंदिर बनाने का आदेश सुनाया था ।
सुप्रीम कोर्ट की ओर से सर्व सम्मत फैसला सुनाने के बाद तत्कालीन चीफ जस्टिस इस फैसले में सुनवाई का हिस्सा रही बेंच के अपने साथियों को होटल ताज मानसिंह लेकर गए थे जहां उन्होंने सबकी पसंद की शराब का आर्डर दिया। रंजन गोगोई ने अपनी किताब में इस घटना का उल्लेख करते हुए कहा है कि यह उनके कैरियर से जुड़ी प्रमुख घटनाओं में से एक है।
जस्टिस फॉर द जज नाम से प्रकाशित अपनी आत्मकथा में अब राज्यसभा सांसद, रंजन गोगोई ने कई घटनाओं पर विस्तार से लिखा है। बाबरी मस्जिद पर फैसला सुनाने के बाद की शाम का उल्लेख करते हुए रंजन गोगोई ने कहा कि अयोध्या फैसले के बाद अशोक चक्र के नीचे कोर्ट नंबर 1 के बाहर महासचिव ने फोटो सेशन कराया तथा शाम को मैं अपने साथी जजों को होटल ताज मानसिंह डिनर पर ले गया। हमने चाइनीस फूड खाए और शराब शेयर की। यह वहां उपलब्ध सबसे बेहतरीन शराब थी । सबसे बड़े होने के नाते मैंने टैब चुना।
याद रहे कि तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के नेतृत्व में बाबरी मस्जिद पर फैसला सुनाने वाली 5 न्यायाधीशों की बेंच में रंजन गोगोई के बाद सीजेआई बनने वाले एसए बोबडे, जस्टिस चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एस अब्दुल नजीर शामिल थे।
रंजन गोगोई ने न्यायमूर्ति अकील कुरैशी को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने और त्रिपुरा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनकी नियुक्ति की अपनी सिफारिश को वापस लेने के फैसले पर लिखा कि उन्होंने यह काम संवैधानिक निकायों के बीच टकराव से बचने के लिए किया था।
बता दें कि न्यायमूर्ति अकील कुरैशी को इस साल सितंबर में त्रिपुरा से राजस्थान हाई कोर्ट में स्थानांतरित किया गया था।