नौकरशाही में ‘लैटरल एंट्री’ को लेकर विपक्ष मोदी सरकार पर हमलावर
नौकरशाही में ‘लैटरल एंट्री’ को लेकर विपक्ष, केंद की मोदी सरकार पर हमलावर हो गया है। दरअसल यूपीएससी ने केंद्र सरकार की नौकरशाही में लैटरल एंट्री के जरिए नियुक्तियों का विज्ञापन निकाला है। इसे लेकर विपक्ष ने मोदी सरकार पर लगातार निशाने साध रहा है। अब इस मुद्दे पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आंदोलन की चेतावनी दी है।
अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक बयान में लिखा, “बीजेपी अपनी विचारधारा के संगी-साथियों को पिछले दरवाजे से यूपीएससी के उच्च सरकारी पदों पर बैठाने की जो साजिश कर रही है, उसके खिलाफ एक देशव्यापी आंदोलन खड़ा करने का समय आ गया है।”
उन्होंने कहा, “ये तरीका आज के अधिकारियों के साथ, युवाओं के लिए भी वर्तमान और भविष्य में उच्च पदों पर जाने का रास्ता बंद कर देगा। आम लोग बाबू व चपरासी तक ही सीमित हो जाएंगे। दरअसल से सारी चाल पीडीए से आरक्षण और उनके अधिकार छीनने की है। अब जब भाजपा ये जान गयी है कि संविधान को ख़त्म करने की भाजपाई चाल के खिलाफ देश भर का पीडीए जाग उठा है तो वो ऐसे पदों पर सीधी भर्ती करके आरक्षण को दूसरे बहाने से नकारना चाहती है।”
अखिलेश यादव ने कहा, “बीजेपी सरकार इसे तत्काल वापस ले, क्योंकि ये देशहित में भी नहीं है। बीजेपी अपनी दलीय विचारधारा के अधिकारियों को सरकार में रखकर मनमाना काम करवाना चाहती है। सरकारी कृपा से अधिकारी बने ऐसे लोग कभी भी निष्पक्ष नहीं हो सकते। ऐसे लोगों की सत्यनिष्ठा पर भी हमेशा प्रश्नचिन्ह लगा रहेगा।”
आंदोलन की चेतावनी देते हुए अखिलेश यादव ने आगे कहा, “देशभर के अधिकारियों और युवाओं से आग्रह है कि यदि बीजेपी सरकार इसे वापस न ले तो आगामी 2 अक्टूबर से एक नया आंदोलन शुरू करने में हमारे साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर खड़े हों। सरकारी तंत्र पर कारपोरेट के क़ब्ज़े को हम बर्दाश्त नहीं करेंगे क्योंकि कारपोरेट की अमीरोंवाली पूंजीवादी सोच ज़्यादा-से-ज़्यादा लाभ कमाने की होती है। ऐसी सोच दूसरे के शोषण पर निर्भर करती है, जबकि हमारी ‘समाजवादी सोच’ ग़रीब, किसान, मजदूर, नौकरीपेशा, अपना छोटा-मोटा काम-कारोबार-दुकान करनेवाली आम जनता के पोषण और कल्याण की है। ये देश के विरूद्ध एक बड़ा षड्यंत्र है।”