मौसम वैज्ञानिकों ने चेताया , भयंकर सूखे और बाढ़ के लिए तैयार रहे देश देश एक तरफ भारी बारिश और बाढ़ से जूझ रहा हो दूसरे हिस्से में भयंकर सूखा पड़ रहा हो तो हालात कैसे होंगे कल्पना करना आसान नहीं ह।
मौसम वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन पर भारत सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि देश को अगले कुछ सालों में बाढ़ और अति भयंकर सूखे के लिए खुद को तैयार कर लेना चाहिए। विशेषकर केरल, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि अरब सागर के बजाए हिंद महासागर में समुद्री स्तर पर वृद्धि जलवायु परिवर्तन की घटनाएं बढ़ा रही हैं।
भारतीय मौसम विज्ञान संस्थान में जलवायु वैज्ञानिक स्वप्ना पनिकल का कहना है कि स्थिति गंभीर होती जा रही है। जलवायु परिवर्तन के कारण हालात बदल रहे हैं। विशेषकर चक्रवाती तूफान की संभावनाएं बढ़ गई हैं। द फिजिकल साइंस बेसिस नाम से अगस्त महीने में जलवायु परिवर्तन पर एक रिपोर्ट जारी की गई थी जिसमें भारत को अगले कुछ वर्षों में बाढ़ और सूखे जैसी स्थिति के लिए तैयार रहने को कहा गया है।
स्वप्ना पनिकल ने अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी इंट्रोमेट 2021 में जलवायु परिवर्तन पर अपने बयान में कहा कि 1870 के बाद समुद्री स्तर के आंकड़े दिखाते हैं कि यह घटनाएं मुंबई तट पर भी बढ़ रही हैं। उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि भारत के तटीय इलाके को समुद्र स्तर में वृद्धि के लिए तैयार रहने की जरूरत है। 1870 और 2000 के बीच वैश्विक स्तर पर समुद्र स्तर में प्रतिवर्ष 1,8 मिमी की वृद्धि दर्ज की गई है वहीँ 1993 से 2017 के बीच यह आंकड़ा 3 पॉइंट 3 मिमी प्रतिवर्ष के साथ लगभग दुगना हो चुका है।
पनिकल ने कहा कि गर्मी के मौसम में समुद्र का पानी फैलता है और ग्लेशियरों के पिघलने की वजह से समुद्र के स्तर में भी वृद्धि होती है। वैश्विक स्तर पर समुद्र का स्तर बढ़ रहा है। जिस कारण हिंद महासागर और अरब सागर का समुद्र स्तर बढ़ेगा। चिंता की बात यह है कि 2050 तक हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री स्तर में 15 से 20 सेमी की बढ़ोतरी दर्ज किए जाने की आशा है। पनिकल ने बताया कि समुद्र के स्तर में अत्यधिक वृद्धि हो रही है। चक्रवातों के दौरान तूफान आएंगे और जब वह अपने चरम पर होंगे तो समुद्र का स्तर भी बढ़ेगा।
पनिकल की रिपोर्ट के अनुसार तौकते और यास जैसे तूफान के अध्ययन से यह बात स्पष्ट होती है कि यास जैसे तूफानों से समुद्री स्तर में बढ़ोतरी होती है। मौसम विज्ञान संस्थान और आईआईटी मुंबई के अनुसार शहरीकरण और शहरों में फैल रहे वायु प्रदूषण से भी जलवायु परिवर्तन हो रहा है।
भारतीय मानसून को बदलने में महासागरों की भूमिका पर अध्ययन करने वाले पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव राजीवन की रिपोर्ट से पता चलता है कि पूर्वोत्तर मानसून के दौरान भी भारी बारिश की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है जो भविष्य में होने वाले जलवायु परिवर्तन का स्पष्ट संकेत है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि आने वाले वर्षों में अत्यधिक वर्षा और सूखे की घटनाओं में बढ़ोतरी होगी। जिस का सबसे अधिक प्रभाव केरल ,आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे राज्यों पर पड़ेगा। आने वाले वर्षों के दौरान सामान्य से भी कम वर्षा हो सकती है जबकि इस बार भारत में भारी वर्षा की घटनाएं देखने को मिल रही हैं।


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