शहीद शुभम की मां की फ़रियाद, मुझे तमाशा नहीं, बेटा चाहिए

शहीद शुभम की मां की फ़रियाद, मुझे तमाशा नहीं, बेटा चाहिए

नयी दिल्ली: विपक्षी दलों ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं ने जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए कैप्टन शुभम गुप्ता की मां को मुआवजे का चेक सौंपते समय संवेदनहीनता दिखाई और इस अवसर का इस्तेमाल ‘फोटो खिंचवाने’ के रूप में करने के लिए उनकी आलोचना की।

सैन्य अधिकारी का पार्थिव शरीर उनके घर लाए जाने से पहले, उत्तर प्रदेश के शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय और स्थानीय विधायक जी. एस. धर्मेश ने मीडियाकर्मियों के सामने गुप्ता की रोती मां को 50 लाख रुपये का चेक सौंपने की कोशिश की। सैन्यकर्मी की मां ने कहा कि उन्हें इसकी जरूरत नहीं है और इस बात पर जोर देती रहीं कि उन्हें इस ‘‘प्रदशर्नी’’ में न घसीटा जाए।

शुभम गुप्ता के घर जाकर चेक देने का मंत्री योगेंद्र उपाध्याय का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इस वीडियो में शुभम की रोती हुई मां को यह कहते हुए सुना जा सकता है, “ये तमाशा मत लगाओ, भाई”, जबकि यूपी के मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय उन्हें 50 लाख रुपये का चेक देने का प्रयास कर रहे हैं। भाजपा नेता, मंत्री के सहयोगी, शुभम की मां का हाथ पकड़ते हैं और उन्हें फोटो खिंचवाने के लिए खड़ा करते हैं। जब मंत्री और उनके साथी कैमरे के सामने पोज दे रहे थे तो शुभम गुप्ता की मां खुद को छुड़ाने की कोशिश करती नजर आईं।

शिवसेना (यूबीटी) की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भी मंत्री की आलोचना की। उन्होंने लिखा- ”मां गमगीन होकर गुहार लगा रही है फिर भी मंत्री अपना फोटो सेशन जारी रखे हुए हैं। यह कैसी बेशर्मी है?… शहीद परिवार को कैमरे के बिना शांति से शोक मनाने भी नहीं देंगे। हृदयहीन।”

आम आदमी पार्टी (आप) नेता राघव चड्ढा ने भी इस घटना पर मंत्री और भाजपा की निंदा की। राघव ने लिखा- ”कैप्टन शुभम गुप्ता ने कर्तव्य का पालन करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया…उनकी मां दुखी हैं और बेसब्री से अपने बेटे के पार्थिव शरीर का इंतजार कर रही हैं। उनके गमगीन दुख के बीच, यूपी की भाजपा सरकार के मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय बेशर्मी से अपने पीआर के लिए एक तस्वीर लेने पर अड़े हुए हैं, जबकि मां ने उनके दुख को तमाशा न बनाने की अपील की है। शर्म आनी चाहिए।” कांग्रेस के भी तमाम नेताओं ने यूपी के मंत्री के कृत्य की निन्दा की है।

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