ईरान ने दिया भारत को तेल और गैस का ऑफर, क्या कम होगी महंगाई

ईरान ने दिया भारत को तेल और गैस का ऑफर, क्या कम होगी महंगाई

यूक्रेन रूस के बीच जंग शुरु होने के बाद कच्चे तेल के दाम में उछाल के बाद कीमतें 140 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गई। फिलहाल क्रूड 100 डॉलर के ऊपर ही चल रहा है।

रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग के कारण तेल और गैस की सप्लाई से जुड़े संकट को देखते हुए रूस के बाद ईरान ने अब भारत को तेल गैस व्यापार बढ़ाने के लिये खास ऑफर दिया है। भारत में ईरान के राजदूत ने कहा कि ईरान ने तेल और गैस के निर्यात के लिए रुपया-रियाल ट्रेड को फिर से शुरू करके भारत को अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में मदद करने की पेशकश की है।

इससे पहले रूस की कंपनियों ने भारत को भारी छूट के साथ कच्चा तेल खऱीदने का ऑफर दिया है। ईरान के राजदूत ने उम्मीद जताई कि अगर दोनों देश रुपया-रियाल व्यापार फिर से शुरू करते हैं तो द्विपक्षीय व्यापार 30 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।

याद रहे कि ईरान भारत का दूसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता हुआ करता था लेकिन अमेरिका द्वारा ईरान से तेल निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद भारत को ईरान से आयात बंद करना पड़ा। एमवीआईआरडीसी वर्ल्ड ट्रेड सेंटर द्वारा जारी एक बयान में ईरान के राजदूत के हवाले से कहा गया कि ईरान तेल और गैस के निर्यात के लिए रुपया-रियाल व्यापार शुरू करके भारत की ऊर्जा सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए तैयार है। उन्होंने आगे कहा कि रुपया-रियाल ट्रेड सिस्टम दोनों देशों की कंपनियों को एक दूसरे के साथ सीधे कारोबार करने और तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की लागत से बचने में मदद कर सकता है।

याद रहे कि भारत और ईरान के बीच बार्टर की तरह का ट्रेड सेटलमेंट सिस्टम था जहां भारतीय तेल कंपनियां स्थानीय ईरानी बैंक को रुपये में भुगतान कर रहे थे और इस धन का उपयोग ईरान के द्वारा भारत से आयात के भुगतान के लिए किया जा रहा था। यानि इसमें डॉलर के घटने या बढ़ने का कोई असर नहीं था। इस वजह से ईरान सऊदी अरब को पीछे छोड़ भारत के लिए कच्चे तेल का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बन गया था। हालाँकि अमेरिका द्वारा प्रतिबंधों को फिर से लागू करने के बाद भारत-ईरान व्यापार वित्त वर्ष 19 में 17 अरब डॉलर से तेजी से गिरकर चालू वित्त वर्ष के अप्रैल-जनवरी में 2 अरब डॉलर से कम हो गया। इसके साथ ही ईरान ने कहा कि तेहरान भारत में प्राकृतिक गैस के परिवहन के लिए रुकी हुई ईरान-पाकिस्तान-भारत पाइपलाइन परियोजना को फिर से आगे बढ़ाने और वैकल्पिक मार्ग खोजने के लिए नई दिल्ली के साथ मिलकर काम करने का भी इच्छुक है।

ईरान से पहले रूस ने भी भारत को कच्चे तेल की सप्लाई बढ़ाने का ऑफर दिया था। जिसकी वजह से भारतीय कंपनियों ने क्रूड की खरीद भी की है। इस हफ्ते की शुरुआत में देश की सबसे बड़ी तेल रिफाइनर और मार्केटिंग कंपनी इंडियन ऑयल ने 30 लाख बैरल रूसी कच्चे तेल का अनुबंध किया था और दूसरी सबसे बड़ी बीपीसीएल ने भारी रियायती दरों पर 20 लाख बैरल की बुकिंग की थी।

इससे पहले मीडिया में आई खबरों में कहा गया था कि रूस भारत को 25 फीसदी तक की छूट दे रहा है। रूस के द्वारा यूक्रेन पर हमले के बाद कच्चा तेल 93 डॉलर प्रति बैरल से बढ़ कर 140 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया। हालांकि उसे बाद कीमतों में नरमी दिखी और अब क्रूड 100 डॉलर प्रति बैरल के करीब आ गया है। भारत अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 85 प्रतिशत तेल की खरीद बाहर से करता है। रूस दूसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक है जो वैश्विक आपूर्ति का 14 प्रतिशत तक पूरा करता है।

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