नए कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ दिल्ली में किसान पिछले 3 महीने से ज्यादा से आंदोलन कर रहे हैं लेकिन किसानों की समस्या को सुलझाना तो दूर सरकार उनकी समस्याओं को सुनने में भी कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रही है।
खुद को गरीबों और किसानों का मसीहा बताने वाले देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव प्रचार में एक राज्य से दूसरे राज्य का दौरा कर रहे हैं ।
सरकार तक अपनी बात पहुंचाने के लिए किसान नेता विभिन्न राज्यों में महापंचायतों का आयोजन कर रहे हैं। इसी बीच तमिलनाडु से किसानों के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है।
खबर के मुताबिक, तमिलनाडु में डीएमके प्रमुख और विपक्ष की तरफ से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार बने स्टालिन ने कहा है कि राज्य में उनकी सरकार बनते ही सबसे पहले वो मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पारित करेंगे।
बता दें कि तिरुपथुर और झोलारपेट में एक जनसभा को संबोधित करते हुए डीएमके प्रमुख ने ये बड़ा ऐलान किया है।
डीएमके प्रमुख का कहना है कि पंजाब, केरल और पश्चिम बंगाल में तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पारित किए हैं। लेकिन दुःख कि बात है कि अभी तक तमिलनाडु सरकार ने ऐसा नहीं किया। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि तमिलनाडु सरकार ने राज्य के किसानों के साथ धोखा किया है।
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार नए कृषि क़ानूनों का मुद्दा उठाने के साथ साथ उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ भी 2 करोड़ हस्ताक्षर किए थे। इस मुद्दे पर उनकी पार्टी के सदस्यों ने संसद में इस कानून के खिलाफ मतदान किया था।
आपको बता दें कि तमिलनाडु में विधानसभा की कुल 234 सीटें हैं। 6 अप्रैल को तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान किया जाएगा और 2 मई को अन्य राज्यों के नतीजों के साथ तमिलनाडु विधानसभा चुनाव के नतीजे भी घोषित किए जाएंगे।