मेवात में बुलडोज़र एक्शन पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक

मेवात में बुलडोज़र एक्शन पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक

हरियाणा के नूंह, मेवात में हुई हिंसा को लेकर जारी बुलडोजर एक्शन पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। हरियाणा सरकार द्वारा नूंह में किए जा रहे बुलडोजर एक्शन पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया और यह आदेश जारी किया। नूंह में अवैध निर्माणों पर प्रशासन की कार्रवाई लगातार जारी है।

नूंह में पिछले चार दिन से तोड़फोड़ की कार्रवाई चल रही थी। इस दौरान 753 से ज्यादा घर-दुकान, शोरूम, झुग्गियां और होटल गिराए जा चुके हैं। प्रशासन ने इन्हें अवैध बताते हुए कहा कि इनमें रहने वाले 31 जुलाई की हिंसा में शामिल थे। नूंह में अब तक प्रशासन ने 37 जगहों पर कार्रवाई कर 57.5 एकड़ जमीन खाली कराई।

इनमें 162 स्थायी और 591 अस्थायी निर्माण गिराए गए। नूंह शहर के अलावा पुन्हाना, नगीना, फिरोजपुर झिरका और पिंगनवा जैसे इलाकों में भी अतिक्रमण के बहाने बुलडोज़र चलाए गए हैं। कल प्रशासन ने हिंसा के दिन जिस 3 मंजिला सहारा होटल से पत्थरबाजी की गई, उसे भी गिरा दिया था। प्रशासन का कहना है कि होटल मालिक को सब पता था, लेकिन उसने दंगाईयों को पत्थर इकट्ठा करने से नहीं रोका।

लेकिन प्रश्न यही है कि अगर होटल मालिक को पता था तो प्रशासन को पता क्यों नहीं था। जितनी फुर्ती प्रशासन ने बुलडोज़र चलाने में दिखाई है उतनी फुर्ती अगर हिंसा रोकने में दिखाई होती तो इतना बड़ा हादसा नहीं होता। अगर बुलडोज़र कार्यवाई ही एक मात्र रास्ता है तो फिर मोनू मानेसर और बिट्टू बजरंगी के घर बुलडोज़र क्यों नहीं चल रहा ? मंदिर परिसर से गोली चलाने वाले के घर बुलडोज़र क्यों नहीं चल रहा ? अगर बुलडोज़र से दंगे रुकते हैं तो मणिपुर में बुलडोज़र क्यों नहीं चलाया जा रहा है?

मणिपुर में महिलाओं की नग्न अवस्था में परेड कराने वालों के घर बुलडोज़र क्यों नहीं चला ? क्या बुलडोज़र कार्यवाई राज्य और समुदाय देखकर की जा रही है ? क्या अब सरकार निरंकुश होकर जिसका घर चाहेगी गिरा देगी ? क्या अब जांच पड़ताल की आवश्यकता नहीं रह गई है ? अगर ऐसा है तो फिर किसी का भी घर सुरक्षित नहीं रह जाएगा। अगर ऐसा ही रहा तो प्रशासन पर भरोसा करना कठिन हो जाएगा।

पिछले कुछ वर्षों से जो अंधाधुंध बुलडोज़र कार्यवाई हो रही है वह चिंताजनक है।अगर ऐसा ही रहा तो लोगों का संविधान से भरोसा ही उठ जाएगा। प्रशासन को दंगे के समय ही अवैध निर्माण क्यों याद आता है ? यह चिंता का विषय है। बहरहाल हाईकोर्ट ने फ़िलहाल खट्टर सरकार के बुलडोज़र को शांत कर दिया है।

नूह हिंसा का मामला इंटर नेशनल मीडिया ने भी उठाया है। मीडिया में बुलडोज़र कार्यवाई की भी आलोचना की गई है। ज़रुरत इस बात की है कि सुप्रीम कोर्ट इस पर संज्ञान लेते हुए इस पर रोक लगाए वर्ना यह भारत के विकास और भाईचारे के लिए बहुत बड़ी बाधा है।

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