ग़ाज़ा युद्ध: इज़रायल की अल-ताबेईन स्कूल पर बमबारी, सैकड़ों फिलिस्तीनी शहीद
ग़ाज़ा पट्टी: इज़रायल और फिलिस्तीन के बीच चल रहे संघर्ष ने एक बार फिर मानवीय त्रासदी को जन्म दिया है। ग़ाज़ा शहर के पूर्वी हिस्से में स्थित अल-दराज़ क्षेत्र में इज़रायल की ओर से किए गए एक हमले ने एक बार फिर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान खींचा है। इज़रायली सेना ने अल-ताबेईन स्कूल पर उस समय बमबारी की, जब स्कूल के परिसर में सैकड़ों फिलिस्तीनी फ़ज्र की नमाज़ अदा कर रहे थे।
इस बमबारी में सैकड़ों लोग शहीद हो गए हैं, जबकि दर्जनों घायल हो गए हैं। स्थानीय नागरिक सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार, इज़रायली सेना के लड़ाकू विमानों ने स्कूल पर तीन मिसाइलें दागी थीं, जिनसे स्कूल की इमारत पूरी तरह से ध्वस्त हो गई। मलबे में फंसे लोगों को निकालने के लिए राहत कार्य जारी है, लेकिन कई लोग अब भी मलबे के नीचे फंसे हुए हैं।
इज़रायली हमलों का प्रभाव और मानवीय संकट
यह हमला इज़रायल और फिलिस्तीन के बीच चल रहे संघर्ष का एक और भयावह उदाहरण है, जिसमें बड़ी संख्या में निर्दोष नागरिकों की जान जा रही है। ग़ाज़ा में अब तक के सबसे खतरनाक संघर्षों में से एक के रूप में देखा जा रहा है, इस युद्ध में फिलिस्तीनी नागरिकों की मृत्यु दर खतरनाक रूप से बढ़ रही है। इज़रायली हमलों के कारण अब तक 40,000 से अधिक फिलिस्तीनी मारे गए हैं और 92,000 से अधिक घायल हुए हैं। इनमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं, जो इस हिंसा के शिकार बने हैं।
ग़ाज़ा में मानवीय संकट दिन-प्रतिदिन गहराता जा रहा है। इज़रायली हमलों के कारण बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान हुआ है। 60% से अधिक ग़ाज़ा का ढांचा पूरी तरह से नष्ट हो चुका है, जिससे लाखों लोग बेघर हो गए हैं। बिजली, पानी, भोजन और दवाइयों जैसी बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी हो गई है। इमारतें मलबे में बदल गई हैं, और सैकड़ों लोग अब भी मलबे में दबे हुए हैं।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया और मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप
इस हमले के बाद, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से इज़रायल पर दबाव बनाने की मांग उठी है। संयुक्त राष्ट्र और कई अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने इस हमले की निंदा की है और इसे मानवाधिकारों का उल्लंघन करार दिया है। इज़रायल पर बार-बार अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों का उल्लंघन करने के आरोप लगाए जा रहे हैं।
फिलिस्तीनी नेतृत्व ने इज़रायल के इस हमले को “युद्ध अपराध” करार दिया है और अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में इज़रायल के खिलाफ मामले दर्ज कराने की बात कही है। फिलिस्तीनी प्राधिकरण के अध्यक्ष महमूद अब्बास ने इस घटना को मानवता के खिलाफ अपराध बताते हुए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से इज़रायल पर प्रतिबंध लगाने की अपील की है।
ग़ाज़ा के लोगों की स्थिति और भविष्य की चुनौतियाँ
ग़ाज़ा के लोग इस समय असहनीय परिस्थितियों में जीवन जीने के लिए मजबूर हैं। इज़रायली हमलों ने उन्हें जीवन के बुनियादी साधनों से वंचित कर दिया है। पानी, भोजन, और चिकित्सा सहायता जैसी बुनियादी आवश्यकताएं पूरी तरह से टूट चुकी हैं। गंदगी और सीवेज के कारण संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ गया है, जिससे लोगों के लिए जीवन और भी कठिन हो गया है।
भविष्य में, ग़ाज़ा के पुनर्निर्माण और वहां के लोगों के जीवन को सामान्य बनाने की दिशा में गंभीर चुनौतियां होंगी। अंतर्राष्ट्रीय सहायता और समर्थन के बिना, गाजा में जीवन की वापसी की उम्मीद करना मुश्किल हो सकता है। यह समय है जब अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को आगे आकर इस संकट को समाप्त करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए, ताकि ग़ाज़ा के लोगों को राहत मिल सके और इस संघर्ष का कोई शांतिपूर्ण समाधान निकाला जा सके।