सीबीआई के पास केजरीवाल के खिलाफ कोई सबूत नहीं: अभिषेक मनु सिंघवी
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई। कोर्ट में उनकी ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी और विक्रम चौधरी पेश हुए और CBI की ओर से लोक अभियोजक डीपी सिंह ने सुनवाई में भाग लिया। केजरीवाल की ओर से दलील रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, “सीबीआई के पास अरविंद केजरीवाल के खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं। उन्हें फंसाने की कोशिश की जा रही है।
अरविंद केजरीवाल की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में जिरह के दौरान केजरीवाल की जमानत को लेकर पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान का जिक्र किया। अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, “ट्रायल कोर्ट ने केजरीवाल को चार दिन पहले ही पीएमएलए के तहत नियमित जमानत दी है। हमें गर्व है कि हम पाकिस्तान नहीं हैं जहां तीन दिन पहले इमरान खान रिहा हुए, सबने अखबार में पढ़ा और उन्हें एक और मामले में फिर से गिरफ्तार कर लिया गया। लेकिन, हमारे देश में ऐसा नहीं हो सकता।”
उन्होंने कहा कि जब लगा कि ईडी वाले मामले में उन्हें सलाखों के पीछे नहीं रखा जा सकता तो सीबीआई से उन्हें गिरफ्तार करवाया गया। यह पीएमएलए का मामला नहीं है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट का आदेश बताता है कि अरविंद केजरीवाल को रिहा किया जाना चाहिए। अब उन्हें सलाखों के पीछे रखने का कोई औचित्य नहीं है। यह सारा प्रपंच सिर्फ सिर्फ उन्हें सलाखों के पीछे रखने के मकसद से किया गया है। इसमें बिल्कुल भी सच्चाई नहीं है।”
उन्होंने कहा, “इसी मामले में सीबीआई ने दो एफआईआर दर्ज की थी। इसके बाद 14 अप्रैल 2023 को केजरीवाल को समन जारी किया गया। 16 अप्रैल को उनसे इस मामले में कई घंटे पूछताछ हुई, लेकिन कोई तथ्य सामने नहीं आया। ध्यान देने वाली बात है कि 21 मार्च 2023 से पहले सीबीआई ने उन्हें कभी नहीं बुलाया। इसके बाद ईडी ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। सीबीआई ने केजरीवाल के खिलाफ एक साल तक कुछ नहीं किया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने ईडी वाले मामले में उन्हें अंतरिम जमानत दी। इसके बाद उन्हें दो जून को वापस तिहाड़ भेज दिया गया।”
अभिषेक मनु सिंघवी ने आगे कहा, “अभी तक सीबीआई यह नहीं बता पाई है कि आखिर केजरीवाल को गिरफ्तार क्यों किया गया है? यह पूरी तरह से कानून का उल्लंघन है। केजरीवाल देश के सम्मानित राजनेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं, लिहाजा उन्हें जमानत मिलनी चाहिए।”