किसानों की जमीने छीनने के लिए रात में भी बैनामे खुले हैं: राकेश टिकैत

किसानों की जमीने छीनने के लिए रात में भी बैनामे खुले हैं: राकेश टिकैत

भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि सरकारें पहले भी थीं और मुद्दे भी पहले थे। किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य नहीं मिल रहा, जिससे किसानों की समस्याएं लगातार बढ़ रही हैं। सरकार चाहती है कि किसान परेशान हों। आज किसान रात्रि में भी चाहे तो अपनी जमीन बेच सकता है। सरकार ने रात्रि में भी बैनामे खोले हुए हैं, जमीने छीनने का प्लान चला हुआ है।

मंगलवार को शामली जिले के बिन जिजौला में किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए टिकैत ने सरकार की आलोचना की और उसकी नीतियों को किसान विरोधी करार दिया। उन्होंने कहा कि किसानों की मांगें लंबे समय से चली आ रही हैं, लेकिन उन्हें अभी भी अपनी फसलों का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है, जिससे उनकी समस्याएं लगातार बढ़ रही हैं।

उन्होंने कहा कि बड़ी कंपनियों का फायदा कैसे होगा, ऐसी नीतियों पर काम चल रहा है। जब किसान का ट्रैक्टर खत्म होगा, किसान की गाड़ी खराब, खत्म होगी तो कंपनियों को फायदा होगा। सरकार ने किसानों को दिल्ली जाने से रोका है। किसान सरकार को 2024 में आने से रोकेंगे। किसानों ने बकाया गन्ना भुगतान, एमएसपी पर गारंटी कानून, किसानों पर दर्ज मामलों को एक्सपंज कराने की भी मांग जोर शोर से उठाई।

उन्होंने किसानों से मतभेदों को दूर करने, सामूहिक रूप से अपनी आवाज उठाने और 26 और 27 फरवरी को दिल्ली की ओर जाने वाली सड़कों पर ट्रैक्टरों की एक बड़ी उपस्थिति सुनिश्चित करने का भी आग्रह किया। राकेश टिकैत ने चेतावनी दी है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी के लिए चल रहा आंदोलन पिछले विरोध प्रदर्शन की अवधि को पार कर सकता है। पिछला आंदोलन 2020-21 में 13 महीने तक चला था।

टिकैत का यह ऐलान सरकार की उस पेशकश के बाद आया है, जिसमें सरकार ने पांच फसलों को एमएसपी पर खरीदने का प्रस्ताव दिया था। किसान संगठन उस पेशकश को पहले ही ठुकरा चुके हैं। राकेश टिकैत ने कहा, “सरकार ने किसानों को दिल्ली जाने से रोका है। इस बार एक ऐसा आंदोलन शुरू किया जाएगा जो 13 महीने नहीं बल्कि इससे भी ज्यादा समय तक चलेगा। हम यह तय करेंगे कि वे 2024 में सत्ता में न आएं।

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