अजित पवार अस्वस्थ होने के कारण कैबिनेट बैठक में शामिल नहीं हुए: शिंदे
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार द्वारा मंगलवार को कैबिनेट बैठक से खुद को बाहर रखने और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे व उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस के साथ दिल्ली नहीं जाने पर विपक्ष ने कुछ सवाल उठाए हैं। विपक्षी नेताओं ने इस स्थिति को एक राजनीतिक बीमारी बताया है।
एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने कहा है कि उन्हें पता चला है कि सरकार में शामिल एक गुट नाराज़ है। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार सुले ने कहा कि ट्रिपल इंजन सरकार को सत्ता में आए अभी तीन महीने ही हुए हैं और मैंने सुना है कि एक गुट नाराज है।
बीजेपी, शिवसेना शिंदे गुट और एनसीपी अजित पवार गुट की मिलीजुली सरकार में एक साल हो गया है लेकिन अब तक पूरा मंत्रिमंडल ही नहीं बन पाया है और आगे बनने की कोई उम्मीद भी नहीं दिखती है। तीन दलों की ये सरकार लगातार अपने ही बोझ तले दबती जा रही है इसलिए हर रोज ख़बर उड़ती है कि ये सरकार कभी भी गिर सकती है।
पहले तो मंत्रिमंडल में किसको क्या मिले, इसको लेकर खींचतान चलती रही तो कई दिनों तक मंत्री बन ही नहीं पाये, बाद में जब विस्तार हुआ तो अब तक कुल 42 मंत्री पद में से केवल 28 ही भर पाये हैं बाक़ी अब भी कई महीनों से खाली है।
बहरहाल, अब अंग्रेजी अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा, ‘अजित पवार राजनीतिक बीमारी से पीड़ित लगते हैं। वह स्पष्ट रूप से जिला संरक्षक मंत्रियों की नियुक्ति में देरी से परेशान हैं।’ शिंदे-फडणवीस सरकार में शामिल होने के महीनों बाद अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के कुछ मंत्रियों को अभी भी जिला संरक्षक मंत्री के रूप में जिम्मेदारियां नहीं सौंपी गई हैं।
सत्तारूढ़ गठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं होने की अटकलों के बीच शिंदे ने कहा कि अजित पवार कैबिनेट बैठक में शामिल नहीं हुए क्योंकि वह अस्वस्थ थे। फडणवीस के साथ दिल्ली के लिए रवाना हुए शिंदे ने कहा कि कोई अन्य निष्कर्ष निकालने की ज़रूरत नहीं है।
अजित पवार गुट से ताल्लुक रखने वाले एनसीपी मंत्री छगन भुजबल ने कहा, ‘अजित दादा को गले में संक्रमण था और इसलिए वह दिल्ली नहीं जा सके। आज (मंगलवार) कैबिनेट की बैठक हुई और हमें संदेश मिला कि उनकी तबीयत ठीक नहीं है। अगर अजित दादा अपने आवास से कैबिनेट बैठक में नहीं आ सके तो वह दिल्ली कैसे जाएंगे?’