अप्रूवल के बावजूद क्यों कोरोना टीके के लाखों डोज स्टोरेज में हैं पड़े ?

जहाँ चीन और अमेरिका जैसे देश जल्दी से जल्दी अपनी आबादी का टीकाकरण करने में लगे हुए हैं वहीँ दूसरी तरफ भारत में कोरोना टीके के लाखों डोज अप्रूवल मिल जाने के बावजूद स्टोरेज या फ्रिज में ही पड़े हैं।

जिन दोनों में वैक्सीन को अप्रूवल मिला वहां टीकाकरण शुरू हो गया, क्योंकि उन्होंने समय से पहले कीमत को लेकर डील कर ली थी। दूसरी तरफ भारत सरकार और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के प्रतिनिधि बंद दरवाजों के पीछे कई महीनों से तोलमोल में जुटे हैं, लेकिन उनके बीच फाइनल समझौता पर हस्ताक्षर नहीं हो पाया है। जिसकी वजह से दुनिया में सर्वाधिक कोरोना केसों के मामले में दूसरे नंबर पर होने और तुरंत टीकाकरण शुरू करने की आवश्यकता के बावजूद 7 करोड़ डोज उपेक्षित पड़े हैं।

रविवार को सीरम के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा कि भारतीय अधिकारी 10 करोड़ डोज 200 रुपए प्रति डोज (2.74 डॉलर) की स्पेशल कीमत पर खरीद को मौखिक रूप से सहमत हैं, जोकि यूके सरकार से ली गई 4-5 डॉलर की कीमत से कम है। कंपनी इसके बाद 2 से तीन महीने के भीतर बाजार में लोगों और कंपनियों को 1000 रुपए प्रति डोज के हिसाब से बेचना चाहती है।

जेफरीज के विश्लेषक अभिषेक शर्मा के मुताबिक, भारत सरकार सीरम पर कीमत कम करने का दबाव डाल रही होगी, क्योंकि इसने विवादास्पद फैसले के तहत देसी कंपनी की ओर से विकसित एक और वैक्सीन को मंजूरी दे दी है, जो कि अभी फाइनल स्टेज टेस्टिंग के लिए वॉलंटियर्स ही नियुक्त कर रही है। इस खींचतान की वजह से कीमती समय बीत रहा है, जहां कोरोना केस 1 करोड़ से पार जा चुके हैं। इससे जनहित और निजी दवा कंपनियों की मुनाफाखोरी के बीच तनाव भी झलकता है, जो महामारी निवेश को जल्द मुनाफे में बदलना चाहती हैं।

दूसरी तरफ अमीर और विकसित देशों ने कीमत विवाद को दूर रखा है, मुद्दा यह है कि महामारी पर नियंत्रण के लिए कितना टीकाकरण होना चाहिए, जोकि वैश्विक स्तर पर हर दिन 10,000 से अधिक लोगों की जान ले रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए 1.3 अरब लोगों लिए टीके पर खर्च होने वाले हर रुपए का प्रशासन पर आर्थिक प्रभाव होगा।

मोदी के टास्क फोर्स के सदस्य और एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने सोमवार को एक इंटरव्यू में कहा, ”जब आप अधिक मात्रा में खरीदारी करते हैं तो स्वभाविक रूप से आपके पास तोलमोल को लेकर अडवांटेज होता है।” उन्होंने कहा कि खरीद के लिए बातचीत चल रही है और बाजार कीमत पर भी फैसला हो सकता है। गुलेरिया ने कहा कि किसी भी दिन खरीद सौदे पर हस्ताक्षर हो सकते हैं।

स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने मंगलवार को मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि कोविड-19 वैक्सीन को अप्रूवल मिलने के बाद 10 दिनों के भीतर टीकाकरण शुरू करने की तैयारी है। उन्होंने यह नहीं बताया कि कीमत या आपूर्ति समझौते पर हस्ताक्षर हो गए हैं या नहीं। ब्रिटेन में फाइजर और एस्ट्रा-ऑक्सफोर्ड वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद टीकाकरण शुरू करने में 5-6 दिन का समय लगा था।

अक्टूबर में इस मामले से जुड़े लोगों ने ब्लूमबर्ग को बताया था कि सरकार ने टीकाकरण के लिए 500 अरब रुपए अलग रख दिए हैं। प्रति व्यक्ति पर टीकाकरण के खर्च का अनुमान 6-7 डॉलर लगाया गया था। स्वास्थ्य मंत्रालय से कोई प्रतिनिधि कॉमेंट के लिए उपलब्ध नहीं हो सका। सेंटर फॉर डिसीज डायनेमिक्स, इकोनॉमिक्स एंड पॉलिसी के संस्थापक रामन लक्ष्मीनारायण ने कहा, “सरकार निजी क्षेत्र को आसानी से पैसा नहीं देती है।” “वे खेल खेलने में सिर्फ अच्छे हैं क्योंकि उनके पास बजट का दबाव है- नौकरशाह अगर खराब सौदा करके वापस आते हैं, तो मंत्री उन्हें वापस भेज देंगे और कहेंगे ‘मुझे बेहतर कीमत दिलवाएं।”

 

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