अफगानिस्तान दर्द से बेहाल, जिंदा रहने के लिए बच्चों को बेच रहे हैं मां बाप

अफगानिस्तान दर्द से बेहाल, जिंदा रहने के लिए बच्चों को बेच रहे हैं मां बाप तालिबान राज आते ही एक बार फिर अफगानिस्तान में गंभीर मानवीय संकट खड़ा हो गया है।

अफगानिस्तान दर्द से बेहाल है। देश में सबसे बड़ा मानवीय संकट खड़ा हो गया है। जहां भूख से माओं की मौत हो जा रही है तो मां बाप अन्य बच्चों को बचाने के लिए अपने बच्चों को मजबूरी बस बेच रहे हैं।

मां की आंखों के सामने बच्चे भूख से तड़प रहे हैं तो कहीं अभागी मां दुसरे बच्चों को बचाने के लिए अपनी कोख के टुकड़े को बेचने का फैसला कर लेती है।

सिर्फ 500 अमेरिकी डॉलर अर्थात लगभग 37000 रुपए में अपनी कमसिन बच्ची का सौदा एक खरीदार के हाथों कर रही है। खरीदार पैसा देकर चला जाता है और बेबस मां रोती आंखों के साथ अपनी औलाद को जाते हुए देखते देखते रह जाती है।

उसके पास अपने बाकी बच्चों को जिंदा रखने के लिए यही एकमात्र रास्ता था। अब इन पैसों से आने वाले कुछ दिनों तक वह अपने बाकी बच्चों को जिंदा रख सकेगी। अफगानिस्तान के कई शहरों में यही हालात है। लेकिन क्या किया जाए ?

संयुक्त राष्ट्र ने अफगानिस्तान के बिगड़ते हालात को देखते हुए चेतावनी जारी की है कि अफगानिस्तान दुनिया के सबसे खराब मानवीय संकट की कगार पर खड़ा है। भूख के कारण 8 बच्चों ने अपनी जान गंवा दी है। यह रिपोर्ट उस स्थिति में सामने आई है जब अधिकांश मामले दर्ज नहीं हो सके हैं। ऐसे बहुत से बच्चे होंगे जो भूख से तड़प कर मर गए हैं लेकिन उनका कोई रिकॉर्ड किसी कागज पर दर्ज नहीं हो सका है।

पिछले 1 सप्ताह में जिनकी मौत भूख से हुई और कोई आंकड़ा भी मिल सका है उन बच्चों की उम्र 10 साल से भी कम थी। यह सब बच्चे काबुल में मारे गए हैं। जबकि उनके मां-बाप पहले ही दम तोड़ चुके हैं।

संयुक्त राष्ट्र ने अपनी खाद्य समिति की रिपोर्ट के आधार पर कहा है कि अफगानिस्तान में भूख से बच्चों का दम तोड़ना एक सामान्य बात हो चुकी है। यहां आधी से अधिक आबादी के पास भोजन की कमी है । अफगानिस्तान में मानवीय संकट यमन और सीरिया की तरह ही फ़ैल रहा है।

युद्ध, गरीबी और अकाल के संकट का पहले से ही सामना कर रहा अफ़ग़ानिस्तान तालिबान के सत्ता में आने के बाद और अधिक मुश्किलों में घिर गया है। तथाकथित इस्लामी राज्य की घोषणा करने वाले तालिबान के पास अफ़ग़ान लोगों की मुश्किल कम करने के लिए तो कोई उपाय नहीं है लेकिन आम लोगों की जान लेने के लिए हथियारों एवं अराजकता फ़ैलाने की कोई कमी नहीं है।

संयुक्त राष्ट्र के डब्ल्यूएफपी के अनुसार अफगानिस्तान की तीन करोड़ 90 लाख की आबादी में से लगभग दो करोड़ 30 लाख लोगों के पास खाने के लिए जरूरी खाद्य सामग्री नहीं है। तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद खाद्य पदार्थ से वंचित रह जाने वाले लोगों की संख्या में 1 करोड़ 40 लाख लोगों का इजाफा हुआ है।

विश्व खाद्य कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक डेविड बेसिल के अनुसार अफगानिस्तान के बच्चे भूख से मरने वाले हैं। लोग भूख के कारण मर जाएंगे। हालात बहुत खराब होने वाले हैं। मुझे नहीं पता कि आप कैसे लाखों लोगों का पेट भरेंगे। खासकर लाखों बच्चों का। आप की अर्थव्यवस्था तबाह हो रही है और कहीं से मदद की कोई संभावना भी नहीं है । इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान में कम से कम एक करोड़ 40 लाख बच्चे बच्चों का जीवन खतरे में है बच्चों के मरने का सिलसिला शुरू हो गया है।

एक स्थानीय धर्मगुरु ने बताया कि हृदय रोग से पीड़ित एक मां की मौत हुई तो कुछ दिन बाद उसके बच्चे भी भूख की वजह से तड़प तड़प कर मर गए। ब्रिटेन की सेव द चिल्ड्रन चैरिटी संस्था ने कहा कि उस परिवार ने अपने बच्चों का पेट भरने के लिए घर की एक एक वस्तु भेज दी थी। बाद में उनके पास बेचने के लिए भी कुछ नहीं रह गया था।

अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था का जनाजा निकल गया है। गेहूं, चावल और तेल जैसे खाद्य पदार्थों की कीमतें पिछले 1 साल में 55 फ़ीसदी से अधिक बढ़ गई हैं। सेव द चिल्ड्रन चैरिटी के अनुसार अफगानिस्तान के बच्चों की पीड़ा का कोई अंत हो ऐसा लग तो नहीं रहा है।

दशकों तक युद्ध के बाद अब यह देश अपने सबसे खराब मानवीय संकट का सामना कर रहा है। हालात पहले से ही गंभीर हैं। अब हर दिन छोटे-छोटे बच्चे गंभीर कुपोषण के कारण बर्बाद हो रहे हैं। उनके पास खाने के लिए रोटी भी नहीं है। सर्दी का मौसम शुरू होगा तो मरने वालों का आंकड़ा बेहद तेजी से बढ़ेगा।

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