ईरान के खिलाफ़ ट्रम्प की नीतियां अमेरिका और इस्राईल के लिए अभिशाप बन गईं

ईरान के खिलाफ़ ट्रम्प की नीतियां अमेरिका और इस्राईल के लिए अभिशाप बन गईं न्यू यॉर्क टाइम्स के स्तंभकार थॉमस फ्रीडमैन ने पोम्पिओ और नेतन्याहू के आग्रह पर 2018 परमाणु समझौते पर ख़तम करने को ट्रम्प के फैसले को शीत युद्ध के बाद से सबसे बेवकूफ, सबसे विचारहीन और सबसे हानिकारक अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा निर्णयों में से एक के रूप में वर्णित किया।

ईरान के खिलाफ़ वर्षों से इस्राईली अमेरिकी राष्ट्रपतियों को यह कहते सुनते आ रहे हैं कि वे ईरान को बम नहीं बनाने देंगे। सबसे पहले इस्राईली ट्रम्प के सौदे से हटने और प्रतिबंधों को फिर से लागू करने का जश्न मनाया था। क्यों नहीं? उन्होंने सोचा था कि दोनों ईरान के बम प्राप्त करने के प्रयास और लेबनान और सीरिया में अपने हिज़्बुल्लाह सहयोगियों के लिए इस्राईल के उद्देश्य से सटीक-निर्देशित मिसाइलों को धकेलने के प्रयासों को कमजोर करेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

तेहरान और वॉशिंगटन के बीच मुश्किलें तब शुरू हो गईं थीं जब 2018 में ट्रम्प ने ईरान और छह विश्व शक्तियों के बीच उन समझौतों को समाप्त कर दिया, जो तेहरान के परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने और परमाणु हथियार बनाने के लिए मांग करते थे।

याद रहे कि 2015 में ईरान और गुट 5+1 ने परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर किए थे जनवरी 2016 में इस समझौते पर अमल शुरु हो गया था लेकिन मई 2018 में ट्रम्प प्रशासन के नेतृत्व में अमेरिका एकपक्षीय रूप से इस समझौते से निकल गया था। अपको बता दें कि जब ट्रम्प ने उस समझौते को छोड़ दिया जो ईरान ने छह प्रमुख शक्तियों के साथ किया था तो उन्होंने ईरान की अर्थव्यवस्था पर पाबन्दियों को फिर से लागू कर दिया था।

 

 

 

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