सऊदी अरब, शिया समुदाय फिर निशाने पर, गिरफ्तारियों का दौर शुरू
सऊदी अरब के अल क़तीफ में एक बार फिर आम बेगुनाह लोगों की गिरफ़्तारी का दौर शुरू हो गया है. सऊदी अरब ने हालाँकि देश के क़ानून में भारी फेर बदल और म्यूज़िक कंसर्ट तथा सिनेमा और खेलकूद के अन गिनत और हंगामा खड़ा करने वाले प्रोग्राम किये लेकिन फिर भी वह अल क़तीफ़ और अल अहसा में आम नागरिकों और खास कर शिया समुदाय के खिलाफ अपने अत्याचारों को छुपाने में नाकाम रहा है.
सऊदी अरब की पुलिस और ख़ुफ़िया एजेंसियों ने एक बार फिर शिया बहुल अल क़तीफ, दम्माम और अल अहसा में अल्पसंख्यक शिया समुदाय के खिलाफ अभियान छेड़ दिया है. आले सऊद के एजेंट बिना किसी नोटिस और कारण बताये एक बार फिर लोगों को घरों में घुस कर उठा कर ले जा रहे हैं.
अल अहद की रिपोर्ट के अनुसार, सऊदी पुलिस ने बिना किसी मुक़दमे और अपराध के अहसा में एक घर में घुस कर साराह अल अली को बंदी बना लिया. आले सऊद के एजेंटों ने इसी तरह बिना किसी कारण के हौज़ए इल्मिया के उस्ताद अब्दुल मजीद बिन हाजी आले अहमद को भी गिरफ्तार कर लिया.
आले सऊद की इस शिया दुश्मनी की नई लहर का शिकार बनने वालों में हुसैन रजब, मूसा अली अल खनिज़ी, और हुसैन समेत कई और लोग भी हैं. सऊदी सरकार ने अभी तक इन लोगों की गिरफ़्तारी का कोई कारण नहीं बताया है.
अल अहद ने कहा कि बंदी बनाये गए लोगों में एक साझा बात यह थी कि वह सब मीडिया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक्टिव थे और मोहम्मद बिन सलमान की नीतियों के समर्थक नहीं थे. आले सऊद इन लोगों को बिन सलमान की मुख़ालेफ़त से रोकने और उसके ड्रीम प्रोजेक्ट विज़न 2030 के समर्थन में लोगों को लामबंद करने के लिए ताक़त का इस्तेमाल कर रहे हैं.
अल अहद ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मूसा अली अल खुनेज़ी को सिर्फ इसलिए बंदी बनाया गया क्योंकि उन्होंने शिया समुदाय के खिलाफ आले सऊद के अत्याचार और उनके खिलाफ दुसरे दर्जे के नागरिक जैसे सुलूक और सरकार के दोहरे रवैये पर नाराज़गी जताई थी.
बिना किसी अदालती कार्रवाई या मुक़दमे के अपने घरों से उठाये गए इन लोगों का अपने घर वालों से अभी तक कोई संपर्क नहीं हो पाया है. सऊदी पुलिस ने इन लोगों के लैपटॉप, मोबाइल समेत सभी ज़रूरी वस्तुओं को भी ज़ब्त कर लिया है.
बता दें कि सऊदी सरकार अपने खिलाफ 2011 में हुए विरोध प्रदर्शन के नाम पर भी क़तीफ और अल अहसा में बड़ी संख्या में शिया समुदाय के जवानों को मौत की सजा दे चुकी है. 2011 में हुए विरोध प्रदर्शन के बाद सऊदी सरकार ने सुनियोजित तरीके से अपने विरोधियों को चुन चुन कर मौत के घाट उतारा.
सऊदी अरब के सबसे युवा राजनैतिक बंदी मुर्तजा क़रीरीस को उस समय बंदी बनाया गया था जब वह साइकल चला रहे थे. सऊदी पुलिस उस से पहले उनके भाई को दिसंबर 2011 में, विरोध प्रदर्शन भाग लेने के आरोप लगाकर गोली मार कर हत्या कर चुकी थी. वहीँ उनके पिता भी जेल में हैं साथ ही उनके दो भाई भी बिना किसी अपराध के जेल में बंद हैं जिन में से एक को जल्द ही मौत की सज़ा दिए जाने की आशंका जताई जा रही है.