रूस में पसरा जरूरी दवाओं का संकट

रूस में पसरा जरूरी दवाओं का संकट

रूस यूक्रेन के काफी दिनों से जंग चल रही है । जिसका का असर अब मास्‍को में दिखाई दे रहा है। इसकी वजह से वहां पर दवाओं की भारी मात्रा में कमी हो गई है। हालांकि जानकारों की बात मानी तो जाए ये कमी कुछ समय के ही लिए है।

रूस और यूक्रेन के बीच मास्‍को में अब दवाओं की कमी महसूस की जा रही है। सोशल मीडिया के जरिए लोग लगातार इस कमी की जानकारी दे रहे हैं। इनमें कहा जा रहा है कि जंग और इसकी वजह से ली पाबंदियों के चलते दवाओं की सप्‍लाई में काफी कमी आई है।

कुछ दवाएं तो ऐसी हो गई हैं जो कहीं भी नहीं मिल पा रही हैं। यह केवल मास्‍को का ही हाल नहीं है बल्कि देश के कई दूसरे शहरों में भी ऐसा ही हाल दिखाई दे रहा है। दवाओं के न मिलने की वजह से मरीजों को भी मुश्किल हालातों का सामना करना पड़ रहा है। यह हाल तब है जब रूस में कोरोना महामारी का संकट लगातार बना हुआ है और यहां पर अब भी कोरोना के हजारों में मामले सामने आ रहे हैं।

दवा की तलाश में निकले कजान के रहने वाले लोगो से बातचीत के दौरान बताया कि उनको किसी भी फार्मेसी पर दवा नहीं मिली है। उहोने बताया कि लोग अपने परिजनो के लिए दवा की तलाश करते हुए थक गए हैं ।

वहीं दूसरी तरफ एक्‍सपर्ट और हेल्‍थ आथरिटी का कहना है कि मौजूदा समय में दवाओं की कमी वक़्ती है इस मुश्किल का हल जल्‍द ही तलाश कर लिया जाएगा। इनका कहना है कि लाजिस्टिक सपोर्ट में आई देरी और कमी की वजह से दवाओं की सप्‍लाई रुकी हुई है। इसके अलावा पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों का भी असर दवाओं की सप्‍लाई पर पड़ा है । बताया जा रहा है कि हाईक्‍वालिटी मेडिसिन रूस के दवा बाजार से ख़त्म हो गई हैं।

मास्‍को अस्‍पताल की कार्डिक इंटेंसिव केयर यूनिट के हेड डाक्‍टर एलेक्‍सी एरलिख का कहना है कि वह नहीं जानते हैं कि ऐसा क्‍यों हो रहा है । लेकिन आने वाले दिनों में और दवाओं की कमी हो सकती है। खबर के मुताबिक़ मार्च से ही दवाओं में कमी होना शुरू हो गई थी।

पश्चिमी देशों के लगे प्रतिबंधों के बाद रूस काफी हद तक अलग थलग पड़ गया है। पेशेंट्स राइट ग्रुप का कहना है कि मार्च के दूसरे सप्‍ताह से ही दवाइयों की कमी शुरू हो गई थी। इस ग्रुप के प्रमुख जियोतदिन उव्‍येसोव का कहना है कि उन्‍होंने देशभर में इस बारे में जांच की है । उन्‍होंने इस दौरान पाया कि रूस में सबसे अधिक इस्‍तेमाल की जाने वाली करीब दस दवाएं मार्केट में नहीं हैं।

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