कोई भी समझौता, ग़ाज़ा के खंडहरों को दोबारा नहीं बना सकता: ज़ोहरान ममदानी

कोई भी समझौता, ग़ाज़ा के खंडहरों को दोबारा नहीं बना सकता: ज़ोहरान ममदानी

न्यूयॉर्क मेयर चुनाव के अग्रणी उम्मीदवार, और अमेरिकी डेमोक्रेटिक पार्टी के उगांडा मूल के राजनेता ज़ोहरान ममदानी ने कहा कि, कोई भी समझौता ग़ाज़ा की तबाही को फिर से नहीं बना सकता। ज़ोहरान ममदानी ने ‘सीएनएन’ को दिए इंटरव्यू में कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति की ग़ाज़ा युद्ध में हुई संघर्ष-विराम के लिए प्रशंसा कुछ शर्तों पर निर्भर करती है।

सीएनएन की एंकर केटलिन कॉलिन्स ने ममदानी से पूछा कि क्या वे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ग़ाज़ा संघर्ष-विराम के लिए सराहना करते हैं। उन्होंने कहा: “राष्ट्रपति ट्रंप इस वीकेंड (शनिवार-रविवार) मध्य पूर्व की यात्रा पर जा रहे हैं। इस समय संघर्ष-विराम लागू है, इज़रायली सेना पीछे हट रही है और लोग ग़ाज़ा लौट रहे हैं। क्या आपको लगता है कि, राष्ट्रपति इस संघर्ष-विराम के लिए प्रशंसा के हक़दार हैं?”

ममदानी ने जवाब दिया:
“देखिए, संघर्ष-विराम की खबर मुझे उम्मीद देती है। बच्चों को जश्न मनाते हुए देखना सुखद है, मैं दुआ करता हूँ कि ये स्थायी साबित हो और सच्ची शांति लाए।”

उन्होंने आगे कहा:
“(ट्रंप की) प्रशंसा तभी की जा सकती है जब संघर्ष-विराम सही तरीके से लागू हो, क्योंकि यह समझौता कभी भी पिछले कुछ वर्षों की पीड़ा और तबाही को मिटा नहीं सकता — चाहे वो 7 अक्तूबर को हमास द्वारा किया गया भयानक युद्ध अपराध हो या उसके बाद से अब तक इज़रायल सरकार द्वारा फिलिस्तीनियों के ख़िलाफ़ की गई नरसंहार जैसी कार्रवाइयाँ।”

ममदानी ने कहा:
“जिस चीज़ की हम बात कर रहे हैं, वो यह है कि कोई भी समझौता न तो खंडहरों को दोबारा बना सकता है, न ही जो कुछ नष्ट हो गया है उसे वापस ला सकता है, न ही उन बंधकों को जो कैद में मारे गए हैं। इसलिए हम उन घटनाओं का शोक मनाते रहेंगे और उम्मीद करते हैं कि भविष्य अलग और बेहतर होगा।”

सीएनएन की एंकर ने फिर पूछा: “तो आप कब तय करेंगे कि राष्ट्रपति इस संघर्ष-विराम के लिए प्रशंसा के योग्य हैं?”

ममदानी ने कहा: “जब नरसंहार रुक जाएगा, तभी यह प्रशंसा योग्य होगा — जब बंधक लौट आएंगे। ये सब चीजें एक साथ होनी चाहिए।”

कॉलिन्स ने पूछा: “मतलब अगर अगले एक हफ़्ते में बंधक लौट आते हैं और संघर्ष-विराम जारी रहता है, तो आप उन्हें सराहेंगे?”

ममदानी ने कहा:
“अगर संघर्ष-विराम स्थायी रहा तो हाँ। और सच्चाई यह है कि खुद बंधकों के परिवारों ने भी कहा है कि हमें ‘सबके लिए आज़ादी और समानता’ चाहिए। उन्होंने हमें एक सार्वभौमिक और व्यापक समाधान की याद दिलाई है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि संघर्षविराम भी उसी दिशा में लागू हो, ताकि हम एक ऐसा भविष्य बना सकें जो शांति पर आधारित हो।”

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