“द कश्मीर फाइल्स” की कमाई कश्मीरी पंडितों के लिए दान करें अग्निहोत्री
कश्मीरी पंडितों की समस्या पर बनी विवेक अग्निहोत्री की विवादित फिल्म द कश्मीर फाइल्स जमकर कमाई कर रही है। हालाँकि इस विवादित फिल्म का कई लोगों ने विरोध करते हुए कहा है कि यह फिल्म झूठ और तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर परोस रही है लेकिन फिर भी यह कमाई के कई रिकॉर्ड तोड़ रही है।
रिलीज़ के पहले ही हफ्ते से फिल्म को सत्ताधारी दल का भरपूर समर्थन मिला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत उनकी कैबिनेट के कई मंत्रियों ने फिल्म का प्रचार किया। पहले हफ्ते ही फिल्म के ज्यादातर शोज़ हाउसफुल रहे जिसके बाद देश भर में इसकी स्क्रीन्स को बढ़ाना पड़ा।
द कश्मीर फाइल्स को लेकर जारी वाद विवाद के बीच अब मध्य प्रदेश के एक आईएएस अधिकारी के ट्वीट ने खूब सुर्खियां बटोर राखी हैं। मध्य प्रदेश के आईएएस अधिकारी नियाज खान ने द कश्मीर फाइल्स को लेकर ट्वीट करते हुए कहा कि कश्मीर फाइल्स ने 150 करोड़ कमा लिए हैं, ग्रेट ! लोगों ने कश्मीरी पंडितों की भावनाओं का बहुत अधिक सम्मान किया है। मैं फिल्म प्रोड्यूसर से निवेदन करता हूं कि फिल्म से जो कमाई हुई है उसे कश्मीरी पंडितों के बच्चों की शिक्षा के लिए दे दें। इसके अलावा उनके लिए कश्मीर में घर बनवाएं। यह एक महान दान होगा।
आईएएस अधिकारी नियाज़ खान के इस ट्वीट पर फिल्म के डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री का बयान सामने आया है। विवेक अग्निहोत्री ने ट्वीट करते हुए कहा सर नियाज़ खान साहब ! 25 मार्च को भोपाल आ रहा हूं। कृपया मुझे अपॉइंटमेंट दें ताकि हम मिल सकें। साथ ही आपस में विचार साझा कर सकें। कैसे हम कर सकते हैं और कैसे आपकी किताब की रॉयल्टी के साथ आईएएस की पावर की मदद ली जा सकती है।
नियाज़ खान ने विवेक अग्निहोत्री का जवाब देते हुए कहा कि मैं आपसे मिलने के लिए तैयार हूं। नियाज खान ने कहा कि मैं विवेक अग्निहोत्री से कहना चाहता हूं कि वह प्रधानमंत्री मोदी से कहकर मेरी पोस्टिंग जम्मू कश्मीर में करा दें। मैं कश्मीर में विस्थापित पंडितों को वापस लाने का बेहतरीन प्लान बनाकर उस पर काम करूंगा।
बता दें कि 2015 बैच के आईएएस अधिकारी नियाज़ खान पहले राज्य प्रशासनिक सेवा में कार्यरत थे। उन्हें बाद में प्रमोट कर दिया गया। वह अभी लोक निर्माण विभाग में उप सचिव के पद पर तैनात हैं। लेखन में गहरी दिलचस्पी रखने वाले नियाज़ खान 7 उपन्यास लिख चुके हैं। उन्होंने अबू सलेम पर लव डिमांड्स ब्लड नाम से किताब लिखी है। उन्होंने सरकार को अर्जी देते हुए कहा था कि उन्हें एक हफ्ते अबू सलेम के साथ रहने दिया जाए ताकि वह उसके व्यक्तित्व को समझ सकें, लेकिन सरकार ने उनकी अर्जी को नामंजूर कर दिया था।