तालिबान का सर्वोच्च नेता पहली बार कंधार में सामने आया अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान शासन की स्थापना के बाद ही सर्वोच्च नेता हैबतुल्लाह आख़ून्दज़ादेह को लेकर अटकलों का बाज़ार गर्म है।
तालिबान के सर्वोच्च नेता हैबतुल्लाह आख़ून्दज़ादेह को सार्वजनिक रूप से न देखा गया न ही उसकी कोई विश्वस्त जानकारी सामने आ रही थी। अब खबर है कि हैबतुल्लाह आख़ून्दज़ादेह ने पहली बार सार्वजनिक रूप से कंधार के एक मदरसे में तालिबान लड़ाकों से बातचीत की है।
रिपोर्ट के अनुसार दक्षिणी अफगानिस्तान के कंधार शहर में हैबतुल्लाह आख़ून्दज़ादेह ने पहली बार अपने समर्थकों को सार्वजनिक रूप से संबोधित किया। 2016 में तालिबान के सर्वोच्च नेता के रूप में कार्यभार संभालने के बाद से ही हैबतुल्लाह आख़ून्दज़ादेह ज्यादातर लोगों की नजरों से गायब ही रहा है।
अफगानिस्तान पर अगस्त 2021 में जब तालिबान ने कब्जा जमाते हुए काबुल का नियंत्रण भी अपने हाथों में लिया तब भी वह सामने नहीं आया था। लो प्रोफाइल में रहने वाले हैबतुल्लाह आख़ून्दज़ादेह को लेकर अटकलों का बाजार गर्म रहा है। तालिबान सरकार में उसकी भूमिका को लेकर भी सवाल होते रहे हैं तथा बीच में उस की मौत को लेकर भी खबरें चलती रही हैं।
तालिबान अधिकारियों ने कहा है कि शनिवार को तालिबान के सर्वोच्च नेता ने कंधार शहर में स्थित दारुल उलूम हकीमा में अपने शिष्यों एवं तालिबान लड़ाकों से मुलाकात की। हालांकि अभी तक इस कार्यक्रम का कोई वीडियो या तस्वीर सामने नहीं आई है। कहा जा रहा है कि कार्यक्रम में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के कारण कोई वीडियो या तस्वीर जारी नहीं की गई है जबकि तालिबान ने अपने सोशल अकाउंट से 10 मिनट की एक ऑडियो रिकॉर्डिंग जरूर साझा की है। तालिबान अपने सर्वोच्च नेता को अमीरुल मोमिनीन और वफादारों का कमांडर कहते हैं।
तालिबान ने हैबतुल्लाह आख़ून्दज़ादेह की जो ऑडियो जारी की है उसमें भी वह कोई राजनीतिक बात करता हुआ दिखाई दे रहा है ना ही तालिबान सरकार को कोई संदेश दिया है। ऑडियो में वह तालिबान सरकार की सफलता एवं मरने वाले तालिबान लड़ाकों एवं घायलों के लिए दुआ करता हुआ सुनाई दे रहा है।
याद रहे कि हैबतुल्लाह आख़ून्दज़ादेह को 2016 में तत्काल तालिबान प्रमुख मुल्ला अख्तर के मारे जाने के बाद तालिबान चीफ की जिम्मेदारी दी गई थी। काबुल पर 15 अगस्त को नियंत्रण करने के बाद से ही तालिबान सरकार को अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मान्यता का इंतजार है।
काबुल पर नियंत्रण से पहले ही तालिबान देश के अधिकांश ग्रामीण इलाकों पर कब्जा कर चुका था। 30 अगस्त को अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की संपूर्ण वापसी के बाद तालिबान ने अफगानिस्तान में अंतरिम सरकार के गठन की घोषणा की थी जिसमें अल्पसंख्यक समुदाय और महिलाओं को कोई भागीदारी नहीं दी गई थी।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय तालिबान से मांग करता रहा है कि वह समावेशी सरकार के अपने वादे को पूरा करते हुए अल्पसंख्यक समुदाय और महिलाओं की भागीदारी भी सुनिश्चित करे।


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