तालिबान ने जबरन शादी पर लगाई रोक, दुबारा सुहागन बन सकेंगी विधवा अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से ही इस देश में छाया संकट गंभीर रूप से गहरा गया है।
तालिबान ने इस संकट से निपटने के लिए जहां अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद की गुहार लगाई है वही देश में कुछ प्रभावशाली कदम उठाते हुए अपनी बदलती छवि दर्शाने की भी कोशिश की है। तालिबान ने महिलाओं की जबरन शादी पर रोक लगा दी है। तालिबान के सर्वोच्च नेता हैबतुल्लाह आखुंदज़ादेह ने इस निर्णय की घोषणा की है।
अफगानिस्तान से नाटो और अमेरिकी सेना की वापसी के बाद से ही अफगानिस्तान में छाया संकट और गंभीर हो गया है। तालिबान के अफगानिस्तान पर नियंत्रण के बाद उसे अंतरराष्ट्रीय मदद मिलना बंद हो गई है तथा देश की अर्थव्यवस्था खस्ताहाल है और गरीबी की दर तेजी से बढ़ रही है। देश में बढ़ती गरीबी से परेशान आम नागरिक अपनी बेटियों को बेच रहे हैं ताकि उससे मिलने वाले पैसे से बाकी बचे परिवार का भरण पोषण किया जा सके।
कहा जा रहा है कि बेचीं गई बच्चियों की शादी जबरदस्ती अधेड़ तथा वृद्ध लोगों से कराई जा रही है। तालिबान की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि शादी के लिए दोनों पक्ष महिला और पुरुष बराबर होने चाहिए। कोई भी महिलाओं को दबाव या जबरदस्ती शादी करने के लिए विवश नहीं कर सकता। माना जा रहा है कि तालिबान विकसित देशों से मान्यता हासिल करने और अंतरराष्ट्रीय सहायता बहाया बहाल करने के मानदंडों को पूरा करने के लिए यह क़दम उठा रहा है।
तालिबान शासन से पहले तक भी अफगानिस्तान में जबरन विवाह प्रचलित था। क्योंकि आंतरिक रूप से विस्थापित लोग अपनी आजीविका चलाने के लिए कम उम्र की बेटियों की शादी पैसा लेकर तय कर देते थे। अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था बुरी तरह से चरमरा गई है। पीड़ित परिवार अपना कर्ज चुकाने और परिवार का पालन पोषण करने के लिए बेटियों को बेच दे रहे हैं।
अफगानिस्तान में दशकों से महिलाओं को संपत्ति की तरह माना जाता है। हत्या के बदले या विवाद और कबायली झगड़ों को समाप्त करने के लिए भी बेटियों की आपस में शादियां करा दी जाती रही हैं। तालिबान ने कहा है कि वह इस प्रथा के विरुद्ध है। तालिबान ने एक और बदलाव लाते हुए कहा है कि विधवा महिला अपनी इद्दत का समय पूरा करने के बाद दूसरी शादी कर सकती है। तालिबान प्रशासन ने कहा है कि उसने अफगान अदालतों को महिलाओं विशेषकर विधवाओं के साथ उचित और सम्मानजनक व्यवहार करने के निर्देश दिए हैं।
तालिबान प्रशासन ने अपने मंत्रियों को भी निर्देश दिए हैं कि वह महिला अधिकारों के बारे में देश की जनता को जागरूक करे। यह अलग बात है कि अभी 7 से 12 वीं कक्षा की हजारों लड़कियों को स्कूल जाने की इजाजत नहीं है तथा तालिबान के सत्ता में आने के बाद अधिकतर महिलाओं को भी काम पर ना लौटने के लिए कह दिया गया है।


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