तालिबान ने किया दाइश के खिलाफ संघर्ष का ऐलान, जल्द करेंगे सफाया

तालिबान ने किया दाइश के खिलाफ संघर्ष का ऐलान, जल्द करेंगे सफाया अफगानिस्तान की सत्ता पर क़ब्ज़े के बाद से ही तालिबान को नित नए संकटों का सामना करना पड़ रहा है।

तालिबान ने आतंकी संगठन आईएसआईएस को अपने लिए समस्या बताते हुए कहा है कि आईएसआईएस अफगानिस्तान और तालिबान का सर दर्द है और हम इसका जल्द ही सफाया करेंगे।

आर्थिक बदहाली के साथ ही तालिबान को देश भर में भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है। तालिबान के प्रवक्ता एवं अफगानिस्तान की नवगठित सरकार में सूचना संस्कृति उप मंत्री जबीहुल्लाह मुजाहिद ने अफगानिस्तान में आईएसआईएस की लेकर चिंता जताई है।

तालिबान नेता ने कहा कि जल्द ही हम अफगानिस्तान से आईएसआईएस के सफाए का प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि हम आईएसआईएस को खतरा नहीं मानते लेकिन हाँ उसे एक सिरदर्द जरूर मानते हैं। यह कुछ स्थानों पर हमारे लिए सरदर्द बना हुआ है लेकिन हम जल्द ही इस संकट से पार पा लेंगे। मुजाहिद ने कहा कि अफगानिस्तान के लोग आईएसआईएस के समर्थक नहीं हैं।

तालिबान नेता आईएसआईएस को गंभीर खतरे के रूप में नहीं मान रहे हैं लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो आईएसआईएस अफगानिस्तान के लिए एक गंभीर समस्या है। अगर इस आतंकी संगठन का मुकाबला करने के लिए जबरदस्त तरीके से प्रयास नहीं किया गया तो यह अपनी गतिविधियों का दायरा और बढ़ा देगा।

राजनीतिक विश्लेषक तमीम बाइस के अनुसार आईएसआईएस के पास अंतरराष्ट्रीय – क्षेत्रीय समर्थन नहीं है और बिना समर्थन के वह लंबे समय तक लड़ने में सक्षम नहीं होगा , लेकिन तालिबान के लिए लिए आईएसआईएस के साथ संघर्ष में कई मुश्किलें खड़ी होंगी।

पाकिस्तान के पत्रकार ताहिर खान के अनुसार तालिबान ने खुद कहा है कि उसने काबुल समेत कई अन्य क्षेत्रों पर आईएसआईएस के खिलाफ सैन्य अभियान शुरू कर दिया है। इसका मतलब यह है कि आईएसआईएस तालिबान के लिए खतरा बन कर उभरा है। नंगरहार के कुछ इलाकों पर आईएसआईएस ने नियंत्रण किया था लेकिन अब उनकी रणनीति बदल रही है वह शहरों का रुख कर रहे हैं ।

तालिबान शासन ने हाल ही में काबुल के पगवान जिले से आईएसआईएस से जुड़े चार आतंकियों को गिरफ्तार किया था जबकि नांगरहार में दो आतंकियों को बंदी बनाया गया था।

याद रहे कि तालिबान ने 15 अगस्त को अफगानिस्तान पर कब्जा जमाया था। अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से ही हालात काफी बिगड़ चुके हैं। तालिबान को कई गुटों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है साथ ही अफगानिस्तान को कई बड़े देशों से आर्थिक सहायता मिलना बंद हो चुकी है। तालिबान सरकार के लिए न हालात से पार पाना बेहद कठिन है।

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