श्रीलंका में 24 सालों में पहली बार कोई महिला प्रधानमंत्री बनी
श्रीलंका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने देश की 24 सालों में पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में 54 वर्षीय हरिनी अमरासूर्या का चयन किया है, जो एक विश्वविद्यालय की व्याख्याता हैं। दोनों समान पृष्ठभूमि से आते हैं और मार्क्सवादी झुकाव वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक मोर्चा के सदस्य हैं।
दिसानायके की रानिल विक्रमसिंघे और विपक्षी नेता साजिथ प्रेमदासा पर जीत इस बात की ओर इशारा करती है कि जनता ने पारंपरिक राजनीति को अलविदा कह दिया है, क्योंकि उनका मानना है कि देश की आर्थिक बदहाली के लिए यही पारंपरिक राजनीति जिम्मेदार है।
इससे पहले इस पद पर श्रीमावो भंडारनायके थीं, जब उन्होंने 1960 में देश की प्रमुख के रूप में शपथ ली थी तो वह इस उच्च पद पर आसीन होने वाली दुनिया की पहली महिला बन गईं। वह 2000 तक तीन बार इस पद पर रही थीं।
दिसानायके के सामने सबसे बड़ी चुनौती उन वादों को पूरा करने की है, जो उन्होंने अपने चुनाव प्रचार के दौरान जनता से किए थे। इनमें सबसे महत्वपूर्ण वह प्रतिबंध हैं जो उनके पूर्ववर्ती ने आर्थिक दिवालियापन से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ समझौते के तहत लगाए थे।
हालांकि विक्रमसिंघे ने चेतावनी दी है कि बेलआउट समझौते के किसी भी तरह के उल्लंघन से 3 बिलियन डॉलर की किस्त के वितरण में देरी हो सकती है। यह उल्लेखनीय है कि श्रीलंका में आर्थिक संकट, कोविड-19 से निपटने में अक्षमता और आतंकी हमलों के परिणामस्वरूप पर्यटन पर पड़े प्रभावों के कारण उत्पन्न हुआ था।
दुनिया के अन्य देशों की तरह श्रीलंका की राजनीति में भी पुरुषों का वर्चस्व है। 2023 के प्यू रिसर्च सेंटर के विश्लेषण के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से केवल 13 देशों में ही महिला प्रमुख हैं। भंडारनायके की छोटी बेटी चंद्रिका कुमारतुंगा देश की पहली और एकमात्र महिला राष्ट्रपति बनीं। वह 1994 से 2005 तक इस पद पर रहीं।