शहबाज शरीफ संभाल सकते हैं पाकिस्तान की कमान, उल्टा पड़ा इमरान का दांव
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान सत्ता संभालने के बाद से अब तक की सबसे बड़ी चुनौती का सामना कर रहे हैं। इमरान खान ने सेना की सहायता से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का पद संभाला और वह इस पर लंबे समय तक बने रहना चाहते थे जिसके लिए उन्होंने एक बड़ा खेल भी खेला।
इमरान खान पाकिस्तान सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा की जगह अपने पसंदीदा सैन्य अधिकारी को सेना प्रमुख बनाना चाहते थे, जबकि सेवा विस्तार पर चल रहे कमर जावेद बाजवा अभी भी अपने पद पर बने रहने के इच्छुक बताए जा रहे हैं। इमरान खान अपने पसंदीदा पूर्व आईएसआई चीफ लेफ्टिनेंट जनरल फैज़ हामिद को सेना प्रमुख बनाए जाने की योजना पर काम कर रहे थे लेकिन अब इमरान खान की सारी योजनाएं लगता है धरी की धरी रह जाएंगी।
बताया जा रहा है कि पाकिस्तान के विपक्षी दल जनरल बाजवा के इशारे पर ही संसद में अविश्वास प्रस्ताव पेश करने पर अड़े हुए हैं। इमरान सरकार अपने बागी सांसदों के कारण अल्पमत में आ गई है और सरकार गिरने की प्रबल संभावना है। पाकिस्तान में इस्लामिक देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक खत्म हो गई, साथ ही पाकिस्तान दिवस के कार्यक्रम भी निपट गए हैं। ऐसे में एक बार फिर देश का राजनीतिक पारा गरमा सकता है।
इमरान खान ने कुर्सी बचाने के लिए अंतिम समय तक डटकर मुकाबला करने की बात कहते हुए इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है। वहीं विपक्ष का कहना है कि इमरान खान के सहयोगी दल विपक्ष के पाले में आ गए हैं। पाकिस्तान के प्रतिष्ठित अखबार डॉन की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान की राजनीति में आने वाला सप्ताह बेहद साबित होगा और यह तय हो जाएगा कि इमरान खान सत्ता में बने रहेंगे या उनकी जगह पर पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के भाई शहबाज शरीफ देश की कमान संभालेंगे।
इमरान सरकार यह मानकर चल रही है कि उसके पास अविश्वास प्रस्ताव पर होने वाले मतदान में जीतने की संभावना बहुत कम है। यही कारण है कि सत्तधारी दल 27 मार्च को होने वाली रैली पर आस लगाए हुए है और अपने सांसदों और सहयोगी दलों को मनाने की कोशिश कर रहा है।
पाकिस्तानी सेना और पीटीआई का एक बड़ा धड़ा इमरान की पार्टी सरकार से पंजाब के मामलों को लेकर गलत फैसले लेने के कारण नाराज बताया जा रहा है। इमरान खान प्रधानमंत्री पद बचाए रखने के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री उस्मान बुज़दार को हटाकर उनके स्थान पर तरीन ग्रुप और सेना की पसंद के किसी नेता को मुख्यमंत्री बना सकते हैं लेकिन शायद ही इस मामले में उनका सहयोगी दल पीएमएल क्यू उनका साथ दे।
विपक्ष इमरान खान सरकार के सहयोगी दलों के अपने साथ आने के दावे कर रहा है। अगर यह सही हुआ तो उसे तहरीक ए इंसाफ के बागी सांसदों की भी जरूरत नहीं रहेगी। दूसरी ओर इमरान खान पाकिस्तानी संविधान की धारा 63 ए के भरोसे अपनी सरकार के बचे रहने की उम्मीद कर रहे हैं ।