सऊदी अरब ने अमेरिका की मर्ज़ी के बिना पाकिस्तान के साथ रक्षा समझौता किया

सऊदी अरब ने अमेरिका की मर्ज़ी के बिना पाकिस्तान के साथ रक्षा समझौता किया

इज़रायल के क़तर पर किए गए हमले, जिसे दोहा में मौजूद अमेरिका की उन्नत रक्षा प्रणालियाँ रोक नहीं सकीं, ने अरब देशों का वॉशिंगटन पर भरोसा हिला दिया है और उन्हें अपनी सुरक्षा के लिए नए गारंटर तलाशने पर मजबूर कर दिया है।

फ़ार्स न्यूज़ एजेंसी के अंतरराष्ट्रीय डेस्क के मुताबिक़, इज़रायल के दोहा पर हमले (जो अमेरिका का करीबी सहयोगी और क्षेत्र में उसका सबसे बड़ा सैन्य अड्डा है) के एक हफ़्ते बाद, सऊदी अरब ने कल पा किस्तान के साथ एक रणनीतिक संयुक्त रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए।

यह समझौता उस समय हुआ जब खाड़ी अरब देश, जो पारंपरिक रूप से अमेरिका को अपनी सुरक्षा का गारंटर मानते थे, अब इज़रायल के दोहा पर मिसाइल हमले से चिंतित हैं। उनका मानना है कि, यह हमला या तो अमेरिका की निष्क्रियता से या संभवतः वॉशिंगटन की हरी झंडी से हुआ।

इसी संदर्भ में फ़ाइनेंशियल टाइम्स ने लिखा है कि, सऊदी अरब ने पाकिस्तान के साथ संयुक्त रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले अमेरिका को इसकी जानकारी नहीं दी थी। एक वरिष्ठ सऊदी अधिकारी ने अख़बार से कहा: “हम उम्मीद करते हैं कि यह समझौता हमारी प्रतिरोधक क्षमता को मज़बूत करेगा। इस आधार पर, किसी एक देश पर हमला दूसरे देश पर हमला माना जाएगा।”

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह एक व्यापक रक्षा समझौता है, जिसमें सभी आवश्यक रक्षा और सैन्य साधनों का इस्तेमाल किया जाएगा जिन्हें किसी ख़ास ख़तरे के हिसाब से ज़रूरी समझा जाएगा।

यह समझौता कल रियाद में सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने हस्ताक्षर किया। शरीफ़ के कार्यालय ने पुष्टि की कि समझौते में साफ़ कहा गया है कि “किसी एक देश पर आक्रमण, दोनों पर आक्रमण माना जाएगा।”

इज़रायल का दोहा (जो अमेरिका का नाटो से बाहर प्रमुख सहयोगी है) पर हमला खाड़ी अरब देशों के नेताओं की चिंता और बढ़ा रहा है। उन्हें अब वॉशिंगटन की अप्रत्याशित नीतियों और इस बात पर शक है कि, अमेरिका क्षेत्र में इज़रायली हमलों के सामने अपने सहयोगियों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है या नहीं।

विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका ने जब दोहा पर इज़रायली हमले को रोकने या उसका जवाब देने से परहेज़ किया, जबकि वहीँ उसका सबसे बड़ा सैन्य अड्डा और उन्नत राडार व रक्षा प्रणाली मौजूद हैं, तो उसने दरअसल यह साबित कर दिया कि वह इज़रायल की अति, विस्तारवाद और क्षेत्र में दादागीरी को नहीं रोकेगा। इस तरह उसका सुरक्षा छाता अब अरब देशों के लिए अविश्वसनीय और छिद्रों से भरा हुआ दिख रहा है।

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