अफ़ग़ानिस्तान की बिसात पर चीन और पाकिस्तान की घिनौनी चाल

अफ़ग़ानिस्तान की बिसात पर चीन और पाकिस्तान की घिनौनी चाल चीन और पाकिस्तान तालिबान की अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता में वापसी के साथ ही इस देश में गहरी रूचि ले रहे हैं।

अफ़ग़ानिस्तान की बिसात पर चीन और पाकिस्तान गहरी चाल चल रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के माने तो चीन और पाकिस्तान अफ़ग़ानिस्तान के संसाधनों पर नजरें गड़ाए हुए हैं और युद्ध ग्रस्त इस देश की अर्थव्यवस्था का फायदा उठाने की जल्दी में हैं।

युद्ध और अराजकता के कारण जर्जर हो चुके अफ़ग़ानिस्तान में भारी आर्थिक एवं वित्तीय कठिनाइयां है। तालिबान की नवगठित सरकार के पास उन आर्थिक मुद्दों का सामना करने का अनुभव भी नहीं है जिन से अफ़ग़ानिस्तान गुजर रहा है।

अफ़ग़ानिस्तान के केंद्रीय बैंक के पूर्व प्रमुख तालिबान के नियंत्रण के साथी देश को खस्ताहाल स्थिति में छोड़ कर चले गए हैं। हालाँकि कहने को तो तालिबान ने केंद्रीय बैंक के प्रमुख की नियुक्ति कर दी है लेकिन देश के सामने मौजूद संकटों से निपटने का अनुभव तालिबान के पास नहीं है।

न्यूज़ वेबसाइट इनसाइड ओवर की रिपोर्ट के अनुसार अफ़ग़ानिस्तान के वित्तीय मुद्दों से निपटने वाले अधिकांश अधिकारियों के पास दोहरी नागरिकता है। ऐसे में उन्हें इस बात का डर है कि अगर कुछ गलत होता है तो तालिबान बदला लेने के लिए उनके परिवार को परेशान कर सकता है। इन अधिकारियों की ओर से की गई कोई भी पहल या कोई भी नया आईडिया जोखिम भरा काम हो सकता है।

इनसाइड ओवर की रिपोर्ट के अनुसार यह स्थिति पाकिस्तान के हित में है। इस देश में पाकिस्तानी अधिकारियों की पहुंच बढ़ाने के लिए यह हालात बेहद कारगर है। पाकिस्तानी सेना तालिबान को समय-समय पर मदद करती रही है। ऐसे में पाकिस्तान की भूमिका यहां बेहद बढ़ जाती है।

यह भी सनभावना है कि अफ़ग़ानिस्तान की अर्थव्यवस्था को चलाने या अफ़ग़ानिस्तान सरकार का मार्गदर्शन करने के लिए पाकिस्तानी सैन्याधिकारी सामने आ जाएं। बीजिंग और इस्लामाबाद पहले ही इस स्थिति का फायदा उठाने की योजना बना चुके हैं।

पाकिस्तान ने इसकी पहल भी कर दी जब इस्लामाबाद की ओर से तालिबान को पाकिस्तानी रुपए में व्यापार करने का ऑफर किया गया था। पाकिस्तानी वित्त मंत्री शौकत तरीन ने कहा था कि पाकिस्तानी रुपए में अफगानिस्तान के साथ व्यापार करने का कारण काबुल में डॉलर की कमी है।

उन्होंने अफगानिस्तान में खाली पड़े तकनीकी पदों को भरने के लिए तालिबान की मदद करने की पेशकश भी की थी। वहीं दूसरी ओर चीन भी अपनी पूरी क्षमता के साथ तालिबान को लुभाने में लगा हुआ है। हाल ही में चीन ने अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए 31 मिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता देने की घोषणा की है।

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