तालिबान राज में दूतावास छोड़कर गए राजदूत, नहीं मिल रही थी सैलरी चीन में अफ़ग़ानिस्तान के राजदूत जावेद अहमद क़ायम ने इस्तीफ़ा देते हुए बताया कि जब से तालिबान ने उनके देश पर क़ब्ज़ा किया है तब से उन्हें सैलरी नहीं मिल रही थी।
एक लेटर पोस्ट करते हुए राजदूत क़ायम ने कहा कि एंबेसी से कई अधिकारी और कर्मचारी पहले ही नौकरी छोड़कर जा चुके थे क्योंकि अगस्त 2021 के बाद से काबुल से उनकी सैलरी नहीं आई है। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि कई कारण हैं कुछ निजी और कुछ प्रोफेशनल, लेकिन मैं उन्हें यहां उनका ज़िक्र नहीं करना चाहता।
अफ़ग़ानिस्तान में जब से तालिबान से सत्ता पर क़ब्ज़ा किया तब से संकट गहराता ही जा रहा है। चीन की एक छोटी सीमा अफ़ग़ानिस्तान से मिलती है जिसके चलते तालिबान सरकार को वह मदद पहुंचाए जा रहा है।
जावेद अहमद क़ायम ने यह भी बताया कि चीन में मौजूद अफ़ग़ानिस्तान दूतावास के लिए सादात नाम के किसी राजदूत को नियुक्त किया गया है जबकि अफ़ग़ानिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इस तरह की कोई जानकारी नहीं दी और न ही इस बात का ज़िक्र किया कि क़ायम की जगह कौन लेगा।
वहीं चीनी मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि क़ायम चीन छोड़कर जा चुके हैं। लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि वह कहां और कब जाएंगे।
तालिबान की बात करें तो इस संगठन ने बीते साल 15 अगस्त को अफ़ग़ानिस्तान को अपने कब्जे में ले लिया था। इसी दिन देश की पश्चिम समर्थित सरकार भी गिर गई थी। चीन सहित किसी भी देश ने तालिबान की सरकार को मान्यता नहीं दी है। तालिबान के आने से अफ़ग़ानिस्तान पर कई प्रतिबंध लग गए ।जिसके कारण इस देश की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो चुकी है।
यह कोई इकलौता मामला नहीं है बल्कि तालिबान की अचानक से सत्ता पर क़ब्ज़ा करने के बाद विदेशों में मौजूद सैकड़ों अफ़ग़ान राजनयिक समस्या से जूझ रहे हैं। वह अपने परिवारों की सुरक्षा को लेकर भयभीत हैं और विदेशों में पनाह लेने की कोशिश में लगे हुए हैं।