विराट कोहली की नीतियां टीम को पड़ रही भारी, फिर गलती दोहराई टी 20 वर्ल्ड कप 20 21 में लगातार दूसरा मैच हार कर टीम इंडिया लगभग सेमीफाइनल की रेस से बाहर हो चुकी है।
विराट कोहली की गलत नीतियों पर टीम की लगातार दूसरी हार का ठीकरा फोड़ा जा रहा है। न्यूजीलैंड ने टीम इंडिया को 8 विकेट से करारी शिकस्त दी है।
पाकिस्तान से 10 विकेट से हारने के बाद टीम इंडिया न्यूजीलैंड के सामने भी लगभग हर मोर्चे पर पूरी तरह विफल हुई है। गेंदबाजों के पास करने को कुछ ज्यादा था नहीं, बल्लेबाज एकदम चले नहीं और साथ ही टीम इंडिया के लिए इस वर्ल्ड कप में आगे का रास्ता लगभग बंद ही हो गया है।
टीम इंडिया को अगर मगर की कहानी के बाद भी दूसरी टीमों के खेल पर निर्भर रहना पड़ेगा। भारतीय क्रिकेट का सूखा 2013 के बाद से ही जारी है और यह इस साल भी जारी रहेगा। कोहली की कप्तानी में टीम इंडिया का हाल ऐसा होगा इसकी कल्पना भी नहीं की गई थी। खासकर उस समय जब टीम के पास एक से एक धुरंधर खिलाड़ी मौजूद हैं और सपोर्ट स्टाफ ने भी दिग्गजों का जमावड़ा है।
आईपीएल जैसी कड़ी प्रतिस्पर्धा से निकले हुए नौजवान एवं परिपक्व खिलाड़ियों से सजी हुई टीम अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक दम से धराशाई हो गई है। टीम इंडिया की हार के बाद हर तरफ से टीका टिप्पणियों का दौर जारी है। विराट कोहली की बार-बार की एक ही गलती टीम इंडिया पर भारी पड़ती नजर आ रही है।
2017 में जब विराट कोहली को टी-20 और वनडे फॉर्मेट में भारत का कप्तान बनाया गया तो कुछ महीनों के बाद ही चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में भारत को पाकिस्तान से हार का सामना करना पड़ा था। पाकिस्तान के बाएं हाथ के तेज गेंदबाज मोहम्मद आमिर ने भारतीय टीम के टॉप ऑर्डर को तहस-नहस कर दिया था। जिसके बाद भारतीय टीम ने अपने स्पिनर्स को बदलते हुए अश्विन और जडेजा के स्थान पर यजुवेंद्र चहल और कुलदीप यादव को जगह दी और यह दोनों टीम के मुख्य स्पिनर के स्थान पर आ गए।
2019 तक चहल और कुलदीप की जोड़ी टीम इंडिया के मुख्य स्पिनर के रूप में बनी रही लेकिन 2019 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के तेज गेंदबाजों ने भारतीय बल्लेबाजों को सस्ते में चलता किया और भारत की हार की पटकथा लिखी तो इस टूर्नामेंट के बाद भारतीय कप्तान ने चहल और कुलदीप से अपना विश्वास गंवाते हुए अन्य स्पिनर्स को आजमाने की तरफ ध्यान दिया।
आलम यह है कि अब कुलदीप और चहल दोनों ही टूर्नामेंट से बाहर थे हालाँकि चहल ने आईपीएल में जबरदस्त प्रदर्शन किया था लेकिन कप्तान कोहली ने उन पर भरोसा नहीं जताया।
टी 20 वर्ल्ड कप 2019 के बारे में कहा जाता है कि भारत की नाकामी का एक मुख्य कारण नंबर 4 के बल्लेबाज की कमी थी। टूर्नामेंट से पहले तक अंबाती रायडू नंबर चार पर खेलते रहे लेकिन वर्ल्ड कप टीम में रायडू का चयन ही नहीं हुआ। उनकी जगह विजय शंकर को लिया गया लेकिन वर्ल्ड कप में पहले केएल राहुल फिर विजय शंकर और बाद में ऋषभ पंत नंबर चार पर बल्लेबाजी करते हुए नजर आए।
विजय शंकर चोटिल हुए तो मयंक अग्रवाल और धवन चोटिल हुए तो उनके स्थान पर पंत को लिया गया । अर्थात पहले आप नंबर चार पर स्पेशलिस्ट बल्लेबाज की जगह एक तेज़ गेंदबाज़ आलराउंडर को रखते हैं, वह चोटिल होकर बाहर निकलता है तो उसके स्थान पर बल्लेबाज को लाया जाता है। आपकी टीम का ओपनर चोटिल होकर बाहर गया तो आप विकेटकीपर को लेकर आते हैं। यह कौन सी नीतियां हैं ? यह कैसा रिप्लेसमेंट है ?
आज भारतीय क्रिकेट की वनडे टीम देखना तो न विजय शंकर नजर आते हैं और ना ही कहीं मयंक अग्रवाल का नाम है। अंबाती रायडू तो खैर क्रिकेट को ही अलविदा कह चुके हैं।
वर्ल्ड कप 2021 की टीम में शिखर धवन की जगह ही नहीं है। कारण है कि वह टीम को बैलेंस नहीं दे पाते । शिखर धवन की जगह टीम में आए ईशान किशन, जिनको लेकर कप्तान कोहली का मानना है कि वह ओपन भी कर सकते हैं और मिडिल ऑर्डर में भी बल्लेबाजी करने में सक्षम है।
लेकिन जब बात मैदान की आती है तो देखा जाता है कि पाकिस्तान के खिलाफ मैच में केएल राहुल और रोहित ओपनिंग करते हैं जबकि न्यूजीलैंड के खिलाफ राहुल को छोड़कर टॉप 4 में से तीनों का स्थान बदल जाता है। ईशान किशन ओपनिंग करते हैं रोहित नंबर तीन पर बल्लेबाजी करते हैं और खुद कोहली नंबर चार पर।
2020 की शुरुआत हुई तो राहुल को फिनिशर की भूमिका में खिलाए जाने की बातें हो रही थी। वह इस भूमिका में खेले भी और प्रभावशाली प्रदर्शन भी किया लेकिन अब वह यह काम नहीं कर सकते। उन्हें ओपनिंग कराई जाती है।
बात शिखर धवन की करें तो आईपीएल के पिछले 2 सीजन में उन्होंने सबसे अधिक रन बनाए हैं। शिखर धवन ने आईपीएल के दोनों सीजन में 500 प्लस का स्कोर करते हुए 600 के आसपास रन बनाए हैं और उनका औसतन स्ट्राइक 130 के आसपास रहा है। लेकिन उन्हें धीमे खेलने की वजह से टीम में नहीं चुना गया।
एक सुपरस्टार खिलाड़ी कोहली का कप्तान के रूप में रिकॉर्ड बिल्कुल भी अच्छा नहीं कहा जा सकता है। 5 साल से टीम इंडिया और 8 साल से आरसीबी के कप्तान रहे हैं सफेद गेंद की क्रिकेट में अपनी छाप छोड़ने में सफल नहीं हुए हैं। टेस्ट कप्तान के रूप में वह एक टीम बनाने में जरूर सफल रहे लेकिन वनडे में वे नाकाम रहे हैं।
एक खिलाड़ी के रूप में विराट कोहली बेशक सुपरस्टार हैं लेकिन उनके पास कप्तान के रूप में एक भी ट्रॉफी नहीं है। चाहे वह आईपीएल के कप्तान के रूप में हो या टीम इंडिया की कप्तानी करते हुए।