22 जनवरी को उद्धव ठाकरे नासिक में गोदावरी नदी पर महा आरती करेंगे

22 जनवरी को उद्धव ठाकरे नासिक में गोदावरी नदी पर महा आरती करेंगे

अयोध्या में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए लोगों को घर-घर जाकर निमंत्रण दिया जा रहा है। इस समारोह के लिए बालासाहेब उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना को अभी तक निमंत्रण नहीं मिला है। इस बीच, पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि पार्टी के नेता 22 जनवरी को नासिक में स्थित कालाराम मंदिर जाएंगे और गोदावरी नदी के तट पर महाआरती करेंगे।

उद्धव ने कहा कि 22 जनवरी एक शुभ दिन है क्योंकि लगभग 30 साल के संघर्ष के बाद अयोध्या में राम मंदिर का अभिषेक हो रहा है। उन्होंने कहा कि वह कालाराम मंदिर जाएंगे जहां डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर और साने गुरुजी ने 1930 में दलितों को मंदिरों तक पहुंच दिलाने के लिए सत्याग्रह किया था।

बता दें, नासिक के पंचवटी इलाके में स्थित कालाराम मंदिर भगवान राम को समर्पित है। मंदिर का नाम काले पत्थर से बनाई गई भगवान राम की मूर्ति से लिया गया है। ऐसा माना जाता है कि भगवान राम अपने वनवास के दौरान पत्नी सीता और अपने भाई लक्ष्मण के साथ पंचवटी में रुके थे। सन् 1930 में डॉ आंबेडकर ने मंदिर में दलितों के प्रवेश की मांग के लिए कालाराम मंदिर में एक विरोध प्रदर्शन किया था।

अयोध्या में राम मंदिर का अभिषेक समारोह 22 जनवरी को होगा। ठाकरे को इस कार्यक्रम के लिए निमंत्रण नहीं मिला है। उन्होंने 23 जनवरी को अपने पिता और शिवसेना के संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे की जयंती पर नासिक में एक रैली आयोजित करने की बात कही है।

ठाकरे ने पिछले शनिवार को बताया था कि उन्हें कोई निमंत्रण नहीं मिला है। उन्होंने कहा था कि अयोध्या जाने के लिए किसी के बुलाने की जरूरत नहीं है क्योंकि रामलला सभी के हैं। जब भी मन करेगा, वह जाएंगे। शिवसेना ने राम मंदिर आंदोलन में बहुत योगदान दिया है।

उन्होंने कहा, ”मैं इस बात में नहीं पड़ना चाहता कि किसे आमंत्रित किया गया है और किसे नहीं, या राम मंदिर निर्माण के लिए कौन जा रहा है या नहीं जा रहा है क्योंकि यह हमारे लिए गर्व और आस्था का विषय है। हम राम मंदिर को लेकर खुश हैं लेकिन मैं कई दिनों से अनुरोध कर रहा हूं कि यह आस्था का विषय बना रहना चाहिए और राजनीतिक रंग नहीं लेना चाहिए। हम जब चाहेंगे तब अयोध्या जाएंगे।”

उद्धव की शनिवार 6 जनवरी की घोषणा भी एक तरह की राजनीति है। उन्होंने 22 जनवरी को जिस कालाराम मंदिर में जाने को फैसला किया है, वहां दलितों के जाने पर लंबे समय तक रोक रही है। 1930 में बाबा साहब अंबेडकर और साने गुरुजी को दलितों को इस मंदिर में प्रवेश दिलाने के लिए सत्याग्रह किया था। इस सत्याग्रह का महाराष्ट्र के दलितों में बहुत महत्व है और उस दिन वो कार्यक्रम भी करते हैं।

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