ट्रंप का व्यवहार अमेरिका की ग़द्दारी के रूप में दर्ज होगा: ब्लूमबर्ग
एक अमेरिकी मीडिया संस्थान ने डोनाल्ड ट्रंप की यूक्रेन के राष्ट्रपति के साथ मीडिया के सामने हुई बहस को अमेरिका की ग़द्दारी का एक उदाहरण बताया है। अमेरिकी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, ट्रंप और उनके डिप्टी जेडी वेंस इस पूरे घटनाक्रम को अमेरिका की शक्ति के प्रदर्शन के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं।। वे यह दिखाना चाहते हैं कि अमेरिका अपने “अकृतज्ञ सहयोगियों” के साथ सख़्ती से पेश आता है। लेकिन अमेरिकी मीडिया संस्थान ब्लूमबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में इस घटना को अमेरिका के लिए एक “शर्मनाक ग़द्दारी” क़रार दिया है।
रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार को व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में एक असामान्य बैठक के दौरान ट्रंप ने ज़ेलेंस्की पर तीखा हमला किया। उन्होंने यूक्रेनी राष्ट्रपति पर “लाखों लोगों की जान से खिलवाड़” करने का आरोप लगाया और कहा कि उनकी नीतियां तीसरे विश्व युद्ध की शुरुआत कर सकती हैं। ट्रंप ने खुलेआम ज़ेलेंस्की को अपमानित किया और संकेत दिए कि अमेरिका अब यूक्रेन की मदद को लेकर पहले जैसी प्रतिबद्धता नहीं रखता।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस विवादास्पद मुलाकात के दौरान ट्रंप ने ज़ेलेंस्की और उनके प्रतिनिधिमंडल को व्हाइट हाउस से बाहर निकालने का आदेश दे दिया। यह कदम न केवल राजनयिक शिष्टाचार के खिलाफ था, बल्कि अमेरिका-यूक्रेन संबंधों में एक नया विवाद भी खड़ा कर सकता है।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ट्रंप की यह कार्रवाई सीधे तौर पर रूस के हित में जाती है। विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप ने ज़ेलेंस्की का अपमान करके और यूक्रेन के खिलाफ कदम उठाकर वही किया, जो रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए सबसे फायदेमंद हो सकता था।
विश्लेषण में यह भी कहा गया है कि व्हाइट हाउस में मीडिया के सामने हुआ यह टकराव अमेरिका की वैश्विक साख को नुकसान पहुंचा सकता है। इसे यूक्रेन के लिए झटका और रूस के लिए एक रणनीतिक जीत के रूप में देखा जा रहा है। यदि अमेरिका खुले तौर पर यूक्रेन से दूरी बनाता है, तो यह संकेत देगा कि पश्चिमी दुनिया में दरारें गहरी हो रही हैं और पुतिन अपने उद्देश्यों में सफल हो रहे हैं।
यह घटना ऐसे समय में हुई है जब अमेरिका और उसके यूरोपीय सहयोगी, यूक्रेन को सैन्य और वित्तीय मदद देने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। अमेरिका के भीतर भी इस मुद्दे पर गहरे मतभेद हैं, और ट्रंप की इस हरकत ने इन मतभेदों को और हवा दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस घटना से न केवल यूक्रेन को अमेरिका की दीर्घकालिक नीतियों पर संदेह हो सकता है, बल्कि अन्य अमेरिकी सहयोगियों को भी यह संदेश जा सकता है कि वॉशिंगटन अपने दोस्तों के साथ कैसा व्यवहार कर सकता है। अमेरिका की “ग्लोबल लीडरशिप” पर भी यह एक गंभीर सवाल खड़ा कर सकता है।
इस विवादास्पद मुलाकात के बाद ज़ेलेंस्की और उनके अधिकारियों की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि इस घटना का यूक्रेन-अमेरिका संबंधों पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है और यह 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में भी एक अहम मुद्दा बन सकता है।


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