सुप्रीम कोर्ट ने अब्बास अंसारी को मुख्तार अंसारी की कब्र पर फातिहा पढ़ने की इजाज़त दी

सुप्रीम कोर्ट ने अब्बास अंसारी को मुख्तार अंसारी की कब्र पर फातिहा पढ़ने की इजाज़त दी

सुप्रीम कोर्ट ने मुख़्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को अपने अब्बा के अंतिम संस्कार में शामिल होने की अनुमति दे दी है। कासगंज जेल में बंद अब्बास अंसारी को 9 से 12 अप्रैल तक मुख़्तार के अंतिम संस्कार में भाग लेने की अनुमति दी गई है। 13 अप्रैल को अब्बास अंसारी को फिर से कासगंज जेल में दाखिल होना होगा। इस दौरान अब्बास अंसारी को मीडिया से दूर रहने की नसीहत दी गई है। अब्बास की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में कपिल सिब्बल ने मंगलवार (9 अप्रैल, 2024) को बहस की है।

अब्बास अंसारी को 11 और 12 अप्रैल, 2024 को जेल में परिवार से मिलने की मंजूरी रहेगी। 13 अप्रैल को उन्हें वापस कासगंज जेल ले आया जाएगा। 11 या 12 तारीख को अगर कोई धार्मिक रस्म होगी तो अब्बास अंसारी उसमें भी शामिल हो सकेंगे, जिसके लिए उन्हें गाजीपुर जेल से बाहर आने की इजाजत होगी और इस दौरान अब्बास अंसारी मीडिया में कोई बयान नहीं देंगे।

बता दें कि, जेल में बंद पूर्व विधायक मुख्तार अंसारीका की 28 मार्च की शाम को दिल का दौरा पड़ने से बांदा के अस्‍पताल में मौत हो गई थी। डीजी (जेल) एस.एन. साबत के बयान के मुताबिक, मुख्तार अंसारी रमजान के दौरान रोजा रख रहे थे। गुरुवार को रोजा तोड़ने के बाद उनकी हालत बिगड़ गई थी। हालांकि, मुख्तार अंसारी के बेटे उमर अंसारी का दावा था कि पिता को जेल में स्लो प्वाइजन (धीमा जहर) दिया गया।

ऐसा ही दावा मुख्तार अंसारी के भाई और गाजीपुर के सांसद अफजल अंसारी ने भी किया मगर अफसरों ने आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था। 30 मार्च, 2024 को पूर्व विधायक का शव गाजीपुर जिले में पैतृक निवास युसूफपुर मोहम्मदाबाद के करीब कालीबाग स्थित कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया था। मुख्तार अंसारी के जनाजे में भारी संख्या में लोग शामिल हुए थे।

हाईकोर्ट से याचिका ख़ारिज होने के बाद अब्बास ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। ‘लाइव लॉ’ के मुताबिक, इस याचिका पर जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने सुनवाई की है। उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से असिस्टेंट एटॉर्नी जनरल गरिमा प्रसाद ने इस याचिका का विरोध किया। याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए कपिल सिब्बल ने अब्बास अंसारी के लिए 4 दिनों की अंतरिम जमानत माँगी। इस समय में सिब्बल ने मऊ से कासगंज आने-जाने के समय को भी जोड़ा था। अपनी दलील में उन्होंने अब्बास के अब्बा की मौत संदिग्ध हालातों में भी होना बताया है।

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