केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाने वाली याचिका दिल्ली हाईकोर्ट से खारिज
शराब नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग करने वाली एक और याचिका दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार (4 अप्रैल, 2024) को खारिज कर दी। हाईकोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाने की याचिका पर सुनवाई नहीं की। हाईकोर्ट ने कहा कि अदालत पहले भी ऐसी ही याचिका को खारिज कर चुकी है।
डिवीजन बेंच के एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह ने कहा, “अदालतों को चाहिए कि वो लोकतंत्र को अपना काम करने दे। याचिकाकर्ता यानी हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता अपनी याचिका लेकर उप-राज्यपाल (LG) के पास जा सकते हैं। कोर्ट ने कहा है कि इस बारे में कदम उठाना एलजी और राष्ट्रपति के अधिकार क्षेत्र में है। ऐसे में इस तरह का आदेश हम नहीं दे सकते।
हालांकि, कोर्ट ने एक अहम टिप्पणी करते हुए कहा, “कई बार राष्ट्रीय हित, निजी हित से बड़े होते हैं, लेकिन यह निर्णय उनका (केजरीवाल) है। गुप्ता के वकील ने कहा कि हम याचिका वापस लेते हैं और अब LG के पास जाएंगे। उन्होंने दलील दी थी कि केजरीवाल ने संवैधानिक भरोसे को तोड़ा है। उन्हें मुख्यमंत्री पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है।
इससे पहले भी हाईकोर्ट केजरीवाल को सीएम पद से हटाने वाली एक जनहित याचिका खारिज कर चुका है. इस दौरान कोर्ट ने कहा था कि ये कार्यपालिका से जु़ड़ा मामला है। केजरीवाल को सीएम पद से हटाने वाली ये जनहित याचिका सुरजीत सिंह यादव नाम के शख्स ने दायर की थी।
हाईकोर्ट की दो जजों की डिवीजन बेंच ने किए 4 कमेंट
1. हम यह कैसे घोषित कर दें कि सरकार नहीं चल रही है? LG इस पर फैसला लेने के लिए पूरी तरह समर्थ हैं। उन्हें हमारे निर्देश की जरूरत नहीं है। हम उन्हें सलाह देने वाले लोग नहीं हैं। कानून के लिहाज से जो सही होगा, LG वो करेंगे।”
2. इस मामले में हम दखलंदाजी नहीं करेंगे। अब इसका फैसला राष्ट्रपति और LG पर निर्भर करता है। आप ये मसला दूसरे फोरम में उठाइए। वहां फैसला किया जाएगा।
3. अदालत राज्य को नहीं चला रही है। अगली बार पड़ोसी मुल्क से जंग होगी और कोई आ जाएगा। हमसे कहेगा कि इस मामले में कदम उठाइए।
4. गलत हो या सही हो, हमें देखना होता है। ये मामला जेम्स बॉन्ड की फिल्म की तरह है, जिसमें सीक्वेल आते रहते हैं, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकलता।
केजरीवाल के वकील की दलील- शुरुआत में ही केस वापस ले लेते
केजरीवाल की ओर से एडवोकेट राहुल मेहरा ने कहा कि सुरजीत सिंह यादव केस का फैसला देखने के बाद पिटिशन को काफी पहले वापस ले लेना चाहिए था। उन्होंने 20 मिनट तक बहस की। अब वो केस वापस लेने की बात कह रहे हैं। यह भी कह रहे हैं कि दूसरे फोरम में मामला ले जाएंगे।