अगर अमेरिका सैन्य हथियारों से लैस जहाज़ इज़रायल भेज सकता है तो यूक्रेन क्यों नहीं ?
इज़रायल में और ग़ाज़ा में जवाबी हवाई हमलों में मरने वालों की कुल संख्या अब तक 3,000 से अधिक हो गई है। इज़रायली सरकार ने कहा कि उसने ग़ाज़ा के कुछ हिस्सों को ध्वस्त कर दिया है और उन पर नियंत्रण कर लिया है। इज़रायल हमले को तेज करने की तैयारी कर रहा है। इज़रायल सेना दक्षिणी इज़रायल में जमा हो रही है, भारी सैन्य हथियारों के साथ रिजर्व बलों के लोगों को भी बुलाया गया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने हमास के हमलों की निंदा करते हुए इसे “सरासर दुष्ट कृत्य” बताया, हालांकि उन्होंने ग़ाज़ा में इज़रायली बमबारी पर कुछ नहीं कहा जिसमें मज़लूम, बेक़सूर फ़िलिस्तीनियों की लाशों के ढेर नज़र आ रहे हैं। हद तो यह है कि उनकी बिजली काट दी गई है। पानी बंद कर दिया गया है। ईंधन की आपूर्ति रोक दी गई है। हॉस्पिटल में बूढ़े बच्चे औरतें उपचार न होने के कारण दम तोड़ रहे हैं।
मीडिया में सिर्फ़ इज़रायल के हमले का प्रचार किया जा रहा है लेकिन फ़िलिस्तीनियों पर इज़रायल द्वारा होने वाले अत्याचार बयान नहीं किए जा रहे हैं। इज़रायल ने फ़िलिस्तीन को खुली हुई जेल बना दिया है. और जब चाहता है वहां बमबारी करता है। औरतों तक से बदसलूकी की जाती है। कोई इज़रायल और अमेरिका से फ़िलिस्तीनियों पर होने वाले अत्याचार को लेकर सवाल नहीं कर रहा है।
हमास द्वारा इज़रायल पर किए गए हमले का ज़िम्मेदार ईरान को बताया जा रहा है जबकि ईरान ने साफ़ कर दिया कि हम फ़िलिस्तीन के समर्थन में कल भी थे, आज भी हैं, और आगे भी इसका समर्थन करेंगे लेकिन हमास के इस हमले में ईरान का कोई हाथ नहीं है। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह सैयद अली खामेनेई ने स्पष्ट किया कि तेहरान हमास के हमले में शामिल नहीं है, लेकिन हमास के लड़ाकों ने जो कारनामा अंजाम दिया है उसे देखकर उनके हाथ चूमने का दिल करता है। उन्होंने एक अत्याचारी शासन के किले को भेद दिया है। इन सबके बीच ताज़ा ख़बरों के अनुसार इज़रायल की मदद के लिए आधुनिक अमेरिकी सैन्य हथियारों से लैस एक प्लेन बुधवार को इज़रायल पहुंच गया है।
लेकिन सबके दिमाग़ में एक प्रश्न उठ रहा है कि अमेरिकी सैन्य हथियारों से लैस प्लेन की इज़रायल को आवश्यकता क्यों पड़ गई ? जिसकी ताक़त का पूरी दुनियां लोहा मानती थी क्या वह ताक़त केवल मीडिया में प्रचार के लिए थी ? क्या इज़रायल अपने दम पर हमास के मुट्ठी भर लड़ाकों का मुक़ाबला नहीं कर सकता ? अगर अमेरिका सैन्य हथियारों से लैस जहाज़ इज़रायल भेज सकता है तो उसने यही जहाज़ यूक्रेन की मदद के लिए क्यों नहीं भेजा ? जबकि यूक्रेन- रूस युद्ध में वह, यूक्रेन का समर्थन कर रहा था फिर उसने यूक्रेन की मदद के लिए जहाज़ क्यों नहीं भेजा ? क्या यूक्रेन में लाशों के ढेर नहीं लगे ? क्या यूक्रेन के रहने वालों की जान की कोई क़ीमत नहीं थी ? क्या वहां लोग बेघर नहीं हुए ?
यह कुछ ऐसे प्रश्न हैं जिस पर यूक्रेन को भी सोचना चाहिए और उन देशों को भी सोचना चाहिए जो अमेरिका को अपना दोस्त समझते हैं। इतना तो तय है कि जब भी कोई युद्ध होता है, इसका नुक़सान केवल जनता को उठाना पड़ता है। प्रश्न यह भी है कि हमास के हमले के कारण फ़िलिस्तीनियों का खाना,पानी, ईंधन क्यों बंद किया गया? बिजली क्यों काट दी गई? हॉस्पिटल में उपचार न होने से मरने वाले बच्चों,औरतों और बुज़ुर्गों की मौत का ज़िम्मेदार कौन है ? मक़सद हमास को ख़त्म करना था या फ़िलिस्तीन को ?
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