सरकार डर और भय से नहीं बल्कि न्याय और निष्पक्षता से चलती है: मदनी
जमीअत उलेमा राजस्थान की मजलिस-ए-मुंतज़िमा (प्रबंधक समिति) की बैठक कल दारुल उलूम मुहम्मदिया मेलखड़ला, भरतपुर में हुई। इसके बाद शाम को आम अधिवेशन आयोजित हुआ जिसमें अध्यक्ष जमीअत उलमा-ए-हिन्द मौलाना अरशद मदनी भी हुए। मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि आज हमारे सामने सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि यह देश किसी विशेष धर्म की विचारधारा से चलेगा या धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों पर।
उन्होंने कहा कि स्थितियां बहुत विस्फोटक होती जा रही हैं। ऐसे में हमें एकजुट होकर कार्यक्षेत्र में आना होगा। मौलाना मदनी ने नफ़रत मिटाने की अपील करते हुए कहा कि आग को आग से नहीं बुझाया जा सकता। नफ़रत का जवाब नफ़रत नहीं मोहब्बत है। आज के माहौल में मोहब्बत ही एकमात्र कारगर हथियार है, जिससे हम नफ़रत को पराजित कर सकते हैं।
हमने हर अवसर पर मातृभूमि के प्रति अपने प्रेम का व्यावहारिक प्रमाण दिया है। आज़ादी हमें अपने महापुरुषों के महान बलिदानों के परिणामस्वरूप प्राप्त हुई है। ऐसे में हमारा यह कर्तव्य है कि हम इन मुट्ठी भर सांप्रदायित तत्वों के हाथों अपने महापुरुषों के बलिदानों को व्यर्थ न होने दें। मौलाना मदनी ने विशेष रूप से यह बात कही कि हमारे महापुरुषों ने ऐसे भारत का सपना नहीं देखा था जिसमें नफ़रत, भय और आतंक के साये में देश के नागरिक रहते हों।
हालांकि आज कश्मीर से मणिपुर तक लोग भय और आतंक के साये में हैं। उन्होंने कहा कि शासकों ने डर और भय की राजनीति को अपना मूलमंत्र बना लिया है लेकिन मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि सरकार डर और भय से नहीं बल्कि न्याय और निष्पक्षता से चला करती है।
मदनी ने कहा कि हमें शांति और प्रेम का पक्षधर बनना चाहिए इसलिए हमें अपनी शादियों और अन्य कार्यक्रमों में देश के भाइयों को आमंत्रित करना चाहिए, इसी तरह उनके सुख-दुख में अपना धार्मिक कर्तव्य समझ कर, वो बुलाएं या ना बुलाएं, शरीक होना चाहिए। आप जाकर बधाई दें या शोक व्यक्त करें और चले आएं। आपका यह कार्य पुराने इतिहास को पुनर्जीवित करने में अमूल्य साबित होगा।
मौलाना मदनी ने आगे कि वह लोग कदापि देश के वफ़ादार नहीं हो सकते जो नफ़रत की आग से देश की शांति और एकता को नष्ट करने पर तुले हैं, बल्कि देश के सच्चे वफ़ादार वह हैं जो ऐसे धैर्य की परीक्षा के समय भी शांति और एकता का संदेश देकर दिलों को जोड़ने की बात कर रहे हैं।
मौलाना अरशद मदनी ने अतीत की ओर इशारा करते हुए कहा कि क़ौमों का इतिहास यह बताता है कि परीक्षा का समय आता रहता है,लेकिन ज़िंदा कौमें निराश नहीं होतीं, बल्कि वो इस तरह की परिस्थितियों में भी अपने लिए आगे बढ़ने का रास्ता निकाल लेती हैं। हम एक ज़िंदा क़ौम हैं इसलिए हमें निराश नहीं होना चाहिए। समय कभी एक जैसा नहीं रहता, हमें दूरदर्शिता और समझदारी से काम लेने की आवश्यकता है।


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